yashpal betray pandit azad

पं चंद्रशेखर आज़ाद का मुख्बीर , जो आजाद भारत में पदम् विभूषण से नवाजा गया

आज़ाद उस दिन इलाहाबाद में थे ये बात बहुत कम लोगों को पता थी उसमें से एक जवाहर लाल नेहरू थे जिनसे वो एक दिन पहले मिले थे।

पर आज़ाद की ही पार्टी Hindustan Socialist Republican Association का एक सदस्य भी उनसे मिला था जिससे उनका वाद-विवाद भी हुआ था।

अगर गुमनामी बाबा नहीं थे नेता जी तो क्यों गोलवलकर जी लिखते थे

कौन था विभीषण

  • अब ये लगभग पक्की जानकारी है कि इसी व्यक्ति ने अंग्रेजों को इस महान क्रांतिकारी के अल्फ्रेड पार्क में होने की मुखबिरी की थी।
  • इस पर आज़ाद को पहले से ही अंग्रेज़ों के साथी होने को लेकर शक भी था।
  • आज़ाद की मृत्यु के बाद उनके साथी इस गद्दार की जान के दुश्मन बन गए ,इसको इधर-उधर भागते रहना पड़ा।
  • अंग्रेज़ों ने अपने मुखबिर की जान बचाने के लिए उस पर एक पुलिस अफसर को मारने की कोशिश का फर्जी केस चलाकर जेल में बंद कर दिया ताकि वो सुरक्षित रहे।

क्रांतिकारीओं से जान बचाई अंग्रेजों ने yashpal betray pandit azad

  • उसको कई सुविधाएं दी गई, अंग्रेज़ों के लंबे राज़ में सिर्फ एक हिंदुस्तानी को जेल में शादी की इजाज़त दी गई जो यही था।
  • उसके लिए जेल के कानून बदल दिए गए।ज़ाहिर सी बात है कि अंग्रेज उससे किसी बात से तो खुश थे!!
  • इतनी सुविधाएं तो गांधी,नेहरू को भी नही दी जाती थी। yashpal betray pandit azad

Chander Shekhar Azad Biography Hindi

  • इसको 14 साल की सज़ा हुई थी पर 6 साल बाद राजनीतिक कैदी बनाकर छोड़ दिया गया ,
  • जबकि अहिंसावादी आंदोलन वालों को ही राजनीतिक कैदी माना जाता था और ये तो पुलिस पर हमले के आरोप में बंद था।
  • वैसे इसकी वकील श्यामा नेहरू थी जो चाचा नेहरू की दूर की रिश्तेदार थी।

यशपाल : एक मशहूर लेखक yashpal betray pandit azad

इस व्यक्ति का नाम यशपाल था जो आज़ादी के बाद एक मशहूर लेखक बने, सबसे बड़ी विडंबना ये रही कि यशपाल ने अपने क्रांतिकारी जीवन के अनुभवों पर कई किताबें लिखी।

इनको कई साहित्यिक अवार्ड और पद्मभूषण भी दिया गया।

yashpal betray pandit azad

1857 स्वतंत्रता संग्राम के तथ्य – 1857 Independence movement

प्रणाम पत्र who informed about chandra shekhar azad

  • जब अंग्रेज 1947 में जा रहे थे तब अपने मुखबिरों से सम्बंधित सभी रिकॉर्ड नष्ट कर रहे थे तब गलती से एक पत्र बच गया था जिसमे इसका नाम था।
  • ये पत्र 1970 के आसपास एक CID अफसर के हाथ लगा। इस पत्र में दो और मुखबिरों के बिना नाम का ज़िक्र है ,
  • एक मुस्लिम लीग में दूसरा AICC में ,इनके नाम कभी पता नही चले। yashpal betray pandit azad
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