Why china and japan is enemy

क्या आप जानते हैं कि चीन और जापान जानी दुश्मन क्यों है?

Why china and japan is enemy : जब भी जापान और चीन के दुश्मनी भरे रिश्ते और इतिहास की बात होती है तो 1937 में इसी महीने दिसंबर में चीनी शहर नानजिंग में शुरू हुए क़त्लेआम को ज़रूर याद किया जाता है.

जापानी सैनिकों ने नानजिंग शहर को अपने क़ब्ज़े में लेकर हत्या, रेप और लूट को अंजाम देना शुरू कर दिया था. यह क़त्लेआम 1937 में दिसंबर महीने में शुरू हुआ था और 1938 में मार्च महीने तक चला था.

नानजिंग में उस वक़्त के इतिहासकारों और चैरिटी संगठनों के अनुमान के मुताबिक़, ढाई से तीन लाख लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया था. इनमें ज़्यादातर महिलाएं और बच्चे थे.

बड़ी संख्या में महिलाओं से रेप भी हुआ था. हालांकि जापान के ज़्यादातर इतिहासकार इस पैमाने पर क़त्लेआम होने से इनकार करते हैं. वे रेप और हत्या की बात को स्वीकारते हैं लेकिन बड़ी तादाद से इनकार करते हैं. साथ ही यह भी कहते हैं कि ये सारी चीज़ें युद्ध के दौरान हुई थीं.

चीन और जापान का युद्ध

1931 में जापान ने चीन के मंचूरिया में आक्रमण किया. जापान ने यह आक्रमण एक विस्फोट के बाद किया था जो जापानी नियंत्रण वाले रेलवे लाइन के पास हुआ था. इस दौरान जापानी सैनिकों का मुक़ाबला चीनी सैनिक नहीं कर पाए और जापान ने कई चीनी इलाक़ों को अपने क़ब्ज़े में ले लिया.

जापान चीन पर अपनी पकड़ मजबूत बनाता गया और चीन कम्युनिस्टों और राष्ट्रवादियों के गृह युद्ध में फंसा था. चीन के राष्ट्रवादी नेता च्यांग काई-शेक ने नानजिंग को राष्ट्रीय राजधानी घोषित किया था.

कई जापानियों को लगता है कि चीन में जापान की ज़्यादती को वहां की टेक्स्ट बुक में बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया है. हालांकि यह ऐतिहासिक तथ्य है कि 1931 में जापान ने बड़ी आक्रामकता से चीन में मंचूरिया पर क़ब्ज़ा किया था.

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इसके परिणामस्वरूप 1937 में एक व्यापक युद्ध की शुरुआत हुई थी और लाखों चीनियों की मौत के बाद 1945 में दूसरे विश्व युद्ध के अवसान के साथ इसका अंत हुआ था.

दूसरे विश्व युद्ध में पूर्वी एशिया जंग का मैदान बना हुआ था. इस इलाक़े में राष्ट्रीय अस्मिता को केंद्र में लाने में दूसरे विश्व युद्ध की बड़ी भूमिका रही है. चीन आज की तारीख़ में आर्थिक और सैन्य शक्ति में काफ़ी आगे निकल चुका है लेकिन इस सफर में उसके अतीत की भी ख़ासी भूमिका रही है. Why china and japan is enemy

पाठ्य पुस्तकों में अपमान का इतिहास

1941 में जश्न मनाते जापानी सैनिक

चीन ने अपने अपमानजनक इतिहास को वहां की पाठ्य-पुस्तकों का हिस्सा बनाया और आने वाली पीढ़ी को बताया कि उनके मुल्क को कितना अपमान सहना पड़ा है. Why china and japan is enemy

हिन्दू देवी के नाम है जापान के इस शहर का नाम

चीन अपने नागरिकों को याद दिलाते रहता है कि उसे 1839 के पहले अफ़ीम युद्ध से लेकर दूसरे विश्व युद्ध तक कैसे जुल्म सहना पड़ा है. चीनी नागरिकों को यह नहीं भूलने दिया जाता है कि जापान और पश्चिम के उपनिवेशवादियों ने कैसे अपमानित किया है.

चीन ने 2014 में नानजिंग में मारे गए लोगों को याद में हर साल 13 दिसंबर छुट्टी रखने की घोषणा की थी. चीन जापान से नानजिंग नरसंहार के लिए माफ़ी की भी मांग कर चुका है. Why china and japan is enemy

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चीन ने कहा था कि शिंज़ो आबे को नानजिंग स्मृति भवन में आकर माफ़ी मांगनी चाहिए. जब यूनेस्को ने नानजिंग नरसंहार से जुड़े दस्तावेजों को विश्व रिकॉर्ड के तौर पर सहेजने का फ़ैसला किया तो जापान ने कड़ी आपत्ति जताई थी और उसने यूनेस्को को फंड देना भी बंद कर दिया था.

Source : Wikipedia

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