Veer Savarkar : महाराष्ट्र के नासिक जिले के एक गाँव भागपुर में वीर सावरकर जी का जन्म हुआ था , वे बचपन से ही साहसी ,क्रांतिकारी स्वभाव वाले और देश भक्ति की भावना से ओत प्रोत थे | सावरकर जी ने विद्यालय में पड़ते हुए अभिनव भारत की स्थापना की थी जिसका मुख्य काम देश भक्ति की भवना जगाना हुआ करता था | वीर सावरकर ऐसे पहले क्रांतिकारी थे जिन्होंने 1857 में हुए स्वतन्त्रता संग्राम को एक सैन्य विद्रोह न कह कर भारतियों द्वारा स्वतन्त्रता के लिए सामूहिक प्रयास बताया था और उन्होंने इसके उपर एक ग्रन्थ भी लिखा था | उन्होंने अहिंसा का मार्ग त्याग कर एक सशक्त क्रांति की बात की थी , उनका मानना था कि अहिंसा से अंग्रेजों को देश से बाहर नहीं किया जा सकता है सावरकर ने 1906 में विदेशी कपड़ों की होली जलाई थी और छात्रावास से बाहर भी निकाल दिया गया था , वः एक मात्र ऐसे व्यक्ति थे जिन्हें स्नातक की डिग्री अंग्रेजों ने 40 वर्ष बाद दी थी क्युकी उनकी डिग्री जब्त कर ली गई थी |
1857 समर पर पुस्तक : Veer Savarkar
वीर सावरकर एक ऐसे पहले व्यक्ति थे जिन्होंने 1857 के स्वतन्त्रता संग्राम को एक विद्रोह न बताकर भारत का पहला सामूहिक स्वतन्त्रता संग्राम बताया था | उन्होंने इसके ऊपर एक एक महान ग्रन्थ भी लिखा था | जब अंग्रेजों को पता चला की वीर सावरकर 1857 पर एक ऐसा ग्रन्थ लिख रहें है जो भारतियों के मनों में सशक्त क्रांति की लोह जागृत करेगा तो वे घबरा गये थे इसीलिए उन्होंने इस पुस्तक को छपने से पहले ही प्रतिबन्ध कर दिया था | शायद यह इतिहस की पहली पुस्तक होगी जिसे छपने से पहले ही उसे प्रतिबन्ध कर दिया गया हो | जब भी अंग्रेज किसी क्रांतिकारी को पकड़ते थे तो उनके घरों में वीर सावरकर का यह ग्रन्थ जरुर मिलता था |
इण्डिया सोसाइटी और अभिनव भारत का गठन
सावरकर जब लन्दन में बैरिस्टर की पड़ाई कर रहे थे तब उन्होंने वह इण्डिया सोसाइटी और अभिनव भारत जैसी संस्थाओं की स्थापना की थी | वहां उन्होंने एक रुसी से बम बनाने की प्रक्रिया सीखी और उस रुसी ने उन्हें इस सम्बन्धी पुस्तक भी दी थी और उनकी प्रितीयां छपवा कर भारतियों में बांटी , ऐसे ही एक प्रति उनके बड़े भाई गणेश दमोदर सावरकर से बरामद हुई और जिसके कारण उनपर राज द्रोह का मुकदमा लगाया गया और उन्हें कालापानी की सज़ा भी हुई तथा उन्हें अंदमान की जेल में भेजा गया |
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समुन्द्र में छलांग लगाना
वीर सावरकर से प्रभावित एक 16 साल के युवक कन्हेरे ने मुंबई के कलेक्टर जैक्सन की गोली मार कर हत्या कर दी थी | उस लडके के पास से जो पिस्तौल मिला उसे सावरकर का भेजा हुआ माना गया और उनको 1910 को लन्दन में गिरफ्तार किया गया | जब उन्हें समुंदरी जहाज से पेरिस के रास्ते भारत में बन्दरगाह के रास्ते लाया जा रहा था तो मर्स्लेस बन्दगाह के निकट पहुंचते ही उन्होंने ने जहाज से छलांग मार दी थी और वे तैर कर फ़्रांस के बन्दरगाह पहुंच गये थे लेकिन अंग्रेज पुलिस ने उन्हें तुरंत गिरफ्तार कर लिया था |
कालापानी की सज़ा
भारत लाकर मुंबई की अदालत में उन पर राजद्रोह और कई हत्याओं का मुकदमा चलाया गया और 31 जनवरी , 1913 को दो आजीवन कारावास की सज़ा यानी 50 वर्ष कालापानी की सज़ा सुनाई गई | उसके घर की महिलाओं को घर से बाहर निकल दिया गया और उनके सामान को फैंक दिया गया | अंडमान जेल में उनके ऊपर बहुत सी यातनाएं दी गई और उनसे सारा दिन कोहलू चलाया जाता था और नारियल के रेशे कूट कर रस्सियाँ बनवाई जाती थी | वीर सावरकर बाहर आकर भारत के लोगों को जागृत करना चाहते थे इसीलिए वे जेल में रहने की बजाये बाहर आना चाहते थे | इसीलिए ही उन्होंने अंग्रेजी सरकार से याचिका में तरस के आधार पर उन्हें रिहा करने की अपील की और कहा की वे सवैधानिक तरीके से कार्य करेंगे | 1913 में भारत के गवर्नर जनरल के प्रतिनिधि रेजिनाल्ड केद्र्काक ने उनकी याचिका पर अपनी एक रिपोर्ट पेश की जिसमे उन्होंने लिखा “क्रांतिकारियों ने उनपर हो रहे जुल्म के बारे में लिखा है और उन्होंने ने अपनी रिहाई के लिए जरूरत से ज्यादा चाशनीदार भाषा का प्रयोग किया है . मगर सावरकर ने अपने किये का जरा भी पछतावा नहीं किया है बल्कि वः हृदय परिवर्तन का ढोंग रच रहा है | सो उनकी याचिका रद्द कर दी गई |
Veer Savarkar की रचनाएँ
वीर सावरकर 1921 तक काले पानी में अमानवीय यातनाये सहते रहे उन्होंने ने जेल की दीवारों पर कोयले से सैल की दीवारों पर दस हजार के लगभग कव्य्व्य पद और गद्द रचनाएँ लिखीं और उन्हें याद किया | उसके बाद उन्हें काले पानी से भारत भेजकर अन्य जेलों में रखा गया | 1932 में उन्हें रिहा करके रत्नागिरी में नजरबंद कर दिया गया जहाँ उन्होंने समाजिक जागरण का कार्य किया | 1937 में उन्हें उनको नज़रबंदी से रिहा किया गया था |
हिंदुत्व के समर्थक
वीर सावरकर भारत को हिन्दू राष्ट्र मानते थे और वे कांग्रेस की मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीती से दुखी थे | वे अखंड भारत के भी समर्थक थे उन्होंने इसके लिए हिन्दुओं के सशक्तिकरण और सैनिककरण की बात भी कही थी | उन्होंने हिंदुत्व पर अनेक पुस्कें लिखीं जो आज भी हिन्दुओं के लिए एक महान ग्रन्थ के समान है|
डॉ अम्बेडकर के सावरकर पर विचार
अम्बेडकर ने कहा था कि वीर सावरकर जैसे महान क्रन्तिकारी को जो सम्मान मिलना चाहिए था आज़ाद भारत में नहीं मिला वे सदा देश के लिए लड़ते रहे जिसके कारण उन्हें अनेक यातनाये और आजीवन कारावास जैसी अनेको सजाएं मिली | Veer Savarkar
सबसे खतरनाक क्रांतिकारी और ब्रिटिश दस्तावेज़
ब्रिटिश सरकार के दस्तावेजों में उन्हें सबसे खतरनाक क्रांतिकारी कहा गया था यह तब की बात थी जब वह मात्र 22 वर्ष के थे | वह इतिहास में शायद ऐसे पहले व्यक्ति होंगे जिनपर मुकद्दमा चलाने के लिए विशेष न्याय प्रधिकरण की स्थापना की गई | इस मुकद्दमे में अंतर्राष्ट्रीय स्तर के चार अधिवक्ताओं की न्युक्ति की गई |
सैन्य क्रांति की योजना
वास्तव में सैन्य क्रांति की योजना वीर सावरकर की थी | उस समय नेता जी सुभाष चन्द्र बोस कांग्रेस से दुखी थे | वे 22 जून 1940 को वीर सावरकर से मिलने मुंबई पहुंचे थे और उन्होंने आज़ादी की लड़ाई की चर्चा की थी | वीर सावरकर देश के नौजवानों को सेना में भर्ती होने का अभियान चला चुके थे | उनका मानना था की द्वितीय विश्व युद्ध में जिन भारतीय सैनिकों को जापान और जर्मनी ने कैद कर रखा है अगर हिटलर से बात की जाये तो वे आज़ाद हिन्द फ़ौज में शामिल हो कर अंग्रेजो के काल बनेंगे | सावरकर की इसी बार ने ही नेता जी को अंग्रेजो के खिलाफ एक सेना खड़ी करने के लिए प्रेरित किया था | यही कारण था की ब्रिटेन के प्रधानमन्त्री एटली ने कहा था की भारत को आज़ादी नेता जी के कारण मिली थी न की गाँधी और नेहरु द्वारा नहीं | Veer Savarkar
Veer Savarkar amar rahe dhanyavad Jai Hind jai BHARAT
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