आर्य आक्रमण जो कभी हुआ ही नहीं
आर्य आक्रमण जो कभी हुआ ही नहीं

आर्य आक्रमण जो कभी हुआ ही नहीं

भारत में अंग्रेजों के द्वारा एक पुरानी कहावत गडी गई थी  जिसमे उन्होंने कहा कि आर्य बहार से आए थे और उन्होंने भारत पर आक्रमण किया था और अंग्रेजों ने आर्य द्रविड़ संघर्ष की भी बात को आग दी | लेकिन वास्तव में ये बात निराधार और असत्य है आगे के कुछ तथ्य आपको वास्तविकता के बारे में बतायेंगे |

  1. Ideas Of Race In Science , पुस्तक की लेखिका नेंसी स्टेफेन ने स्पस्ट कहा है कि इस कहानी को सिद्ध करने वाला कोई भी शास्त्री और वैज्ञानिक आधार नहीं है |
  2. Early Aryans Cultural History Of India के लेखक टी बरो ने लिखा है की भारत पर आर्यों के आक्रमण का कोई उल्लेख नहीं मिलता है | पुरातत्व विज्ञानं भी इसे सिद्ध नहीं करता है |
  3. स्वामी विवेकानन्द ने भी इसका खंडन 1900 में पेरिस में एक सम्मेलन में किया था जिसमे उन्हने कहा था की इसका क्या प्रमाण है |
  4. डा अम्बेडकर ने भी अपनी पुस्कत शूद्रों की खोज में लिखा कि वेदों के अध्ययन में कही भी सिद्ध नहीं होता की आर्य नाम की कोई जाती थी | कही भी यह सिद्ध नहीं होता कि आर्यों ने भारतवर्ष पर आक्रमण किया और विजय प्राप्त की |
  5. The Mythilogical Aryan and their Invasion ने भी इसको निराधार बताया है
  6. गीता प्रेस के संस्थापक श्री हनुमान प्रसाद जी लोकमान्य तिलक के मित्र थे | उनका कहना था की लोकमानी तिलक फिर से आर्यों की इस चर्चा पर एक पुस्तक लिख रहे है जिसमें उन्होंने इस बात का पूर्ण रूप से खंडन किया है और मैंने एक पांडुलिपि भी देखि थी जिस पर तिलक जी कार्य कर रहे थे | उनकी मृत्यु के बाद उस पांडुलिपि का क्या हुआ किसी को पता नहीं था
  7. मक्स्मुलर इस गलत खानी को गड़ने वाला व्यक्ति था लेकिन अपनी मृतु के पहले उसने अपनी पुस्तक Six Systems Of India Philosophy में कहा कि आर्य नाम का कोई वंश नहीं था और भारत पर आर्यों के आक्रमण का कोई भी प्रमाण नहीं था |

यदि आर्य और द्रविड युद्ध की बात सत्य होती तो युद्ध में मरे हुए लोगों के अवशेष कंकाल उत्खनन में जुरूर प्राप्त होते | उत्खनन में 325 कंकाल मिले थे लेकिन उनसे यह साबित नही हुआ | कनेल विश्वविद्यालय के प्रद्याप्क केनडी ने भी मिले हुए कंकालो का अध्ययन किया था लेकिन कही भी युद्ध के कोई प्रमाण नहीं मिले थे

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