Torajan Death Ritual
Torajan Death Ritual

Torajan Death Ritual : इसे जनजाति जो मृत देह को भी संभाल कर रखते हैं

Torajan Death Ritual : यह इंडोनेशिया के सोलवासी दीप के तोराजा जनजाति के लोग हैं|

इंडोनेशिया में इस खास एथेनिक ग्रुप की 1100000 के लगभग आबादी है|

तोराजा जनजाति में ‘मायने, नाम की प्रथा अजीबोगरीब डरावनी है. इस जनजाति में जब कोई बाल युवा वृद्ध मरता है.

उसे ताबूत में रखकर तत्काल दफन नहीं किया जाता. community who are not burning dead relatives

मृतक देह को कुछ महीने घर पर ही रखा जाता है जीवित के समान उसके साथ व्यवहार किया जाता है ऐसा इसलिए इस जनजाति में अंतिम क्रिया कर्म की प्रक्रिया बहुत ही खर्चीली है| Torajan Death Ritual

क्या है प्रथा ?

  • गांव के पशुओं की बलि देकर पूरे जनजाति को मांस परोसा जाता है उसमें पैसा खर्च होता है जब तक पैसों का जुगाड़ नहीं होता
  • मृतक को घर पर ही रखा जाता है अर्थात क्रिया कर्म से पूर्व ही राक्षसी मृत्यु भोज दिया जाता है| community who are not burning dead relatives
  • इसके बाद शव को ताबूत में रखकर मिट्टी में दफन नहीं किया जाता पहाड़ी गुफाओं में रख दिया जाता है|
  • प्रत्येक दूसरे तीसरे वर्ष मृतक शव को ताबूत से लाकर कुछ महीनों के लिए घर में रखा जाता है
  • उसे नए कपड़े पहनाए जाते हैं सिगरेट शराब मृतक को ऑफर की जाती है
  • मृतक के अच्छे बुरे कर्मों के अनुसार उसकी प्रशंसा ,उसको लानत भी दी जाती है|
  • इंडोनेशिया पुर्तगालियों का उपनिवेश रहा पुर्तगाली भी इस प्रथा में दखल नहीं दे पाए|
  • इस जनजाति के ईसाइयत व इस्लाम स्वीकार करने के पश्चात भी यह प्रथा बदस्तूर जारी है|

हमारी संस्कृति में जीव के शरीर से निकलते ही मृतक देह सर्वदा अशुद्ध माना जाता है|

विधिवत संस्कार के पश्चात उसे पंचतत्व में विलीन कर दिया जाता है अर्थात “भस्मान्तम् शरीरम्” | community who are not burning dead relatives

जिन तत्वों से शरीर बना उन्हीं तत्वों को समर्पित कर दिया जाता है

दक्षिण भारत के यह साधू योगी न होते शायद चीन कभी अस्तित्व में न आता

मृतक शरीर के प्रति कोई मोह कर्तव्य शरीर के भस्म होने के पश्चात शेष नहीं रहता

आत्मा की अमरता पुनर्जन्म जैसे वैदिक सत्य सनातन सिद्धांतों से शोकाकुल परिजनों को मानसिक आत्मिक परम संतुष्टि मिल जाती है |

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