Tilka Manjhi
Tilka Manjhi

भारत का पहला आदिवासी क्रन्तिकारी : Tilka Manjhi

क्लीव लैंड का वध

13 जनवरी, 1784 को उनका सामना क्‍लीव लैंड से हुआ अपने बल के साथ तिलका अंग्रेजी सरकार के साथ लगातार संघर्ष में थे। क्लीव लैंड और सर आइरे ने बहादुर तिलका की सेना के साथ लड़ाई की।

जब ब्रिटिश सेना का सामना करना पड़ा, तो तिलका के सैनिकों ने अंग्रेजी सेना पर गुप्त रूप से तीर चलाना शुरू कर दिया। तिलका एक ताड़ के पेड़ पर चढ़ गये।

उसी समय क्लीव लैंड एक घोड़े पर चढ़कर आया। उसी क्षण, तिलका ने अपने तीरों से 13 जनवरी, 1784 को सुपरिंटेंडेंट क्लेव लैंड को मार दिया।

क्लीव लैंड की मौत की खबर के बाद, अंग्रेजी सरकार कांप गई।

Tilka Manjhi वीर गति की प्राप्ति

एक रात तिलका माँझी और उनके क्रांतिकारी साथीजब एक पारंपरिक उत्सव में नृत्‍य-गान कर रहेथे, तभी अचानक एक गद्दार सरदार जाउदाह ने आक्रमण कर दिया।

इस अचानक हुए आक्रमण से तिलका माँझी तो बच गये, किन्तु अनेक देश भक्तवीर वीरगति को प्राप्‍त हुए।

इसके के तिलका माँझी को पर्वतों में रह कर सहारा लेना पड़ा और उन्होंने छापामार युद्ध की निति से अंग्रेजो के खिलाफ युद्ध जारी रखा |

लेकिन युद्ध करते हुए अंत में उन्हें गिरतार कर लिया गया और उनपर अनेकों जुल्म किये गये , उन्हें घोड़ो के पीछे बांद कर घसीटा गया| 

सन् 1785में एक वट वृक्ष में रस्से से बांधकर तिलका माँझी को अंग्रेजों ने फाँसी दे दी

Source: Madras Courier. 7 March 2018. Retrieved 11 October 2019.

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