The truth of Savarkar’s apology to the British : अपने 37 वर्ष के लंबे कार्यकाल में, जिस दौरान उन्होंने भारत की नियति को बदला और हिंदवी स्वराज की नींव रखी, छत्रपति शिवाजी ने औरंगजेब को चार माफीनामे भेजे थे। इनमें से तीन माफीनामे उनके और मुगलों के बीच लिखित संधियों के बाद के थे। लेकिन इन सभी संधियों को स्वयं शिवाजी ने तोड़ा था, क्योंकि यह उनकी स्वतंत्र हिंदू राज्य स्थापित करने और सबको समान अधिकार देने की दीर्घकालिक नीति का हिस्सा था। savarkars apology to the british
विनायक दामोदर सावरकर छत्रपतिशिवाजी के अनुयायी थे। जैसे शिवाजी 1666 में आगरा से मिठाइयों के टोकरे में छुपकर मुगल कैद से फरार हुए थे, उसी से प्रेरणा लेकर सावरकर ने भी 1910 में मोरिया जहाज से पलायन किया था। इसलिए जब हम सावरकर की माफी का आकलन करते हैं, तब हमें सही नतीजे पर पहुंचने के लिए शिवाजी की युक्तियों के बारे में सोचना पड़ता है। ऐसा करने पर हमें पता चलता है कि उनका माफीनामा खुद को जेल से बाहर रखने की नीति से जुड़ा था, ताकि वे अपनी राष्ट्रीय-दृष्टि को आगे ले जा सकें। the truth of savarkars apology to the british
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इन सभी बातों से पता चल जाता है कि वीर सावरकर ने अंग्रेजों से माफ़ी अपना कार्य आगे बड़ाने के लिए मांगी थी और उन्होंने कभी भी अंग्रेजो के पक्ष में काम नहीं किया | वीर सावरकर को आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई गई थी , अगर वे आजीवन कारावास में ही रहते तो क्या वे भारत के लिए कार्य कर पाते | the truth of savarkars apology to the british
कोमुनिस्ट नेताओं के अंग्रेजो से माफ़ी के सबूत
वास्तव में यह भ्रम भारत के समाजवादी लोगों द्वारा फैलाया गया है जबकि उनके खुद के नेताओं ने लिखित रूप में अंग्रेजो से माफ़ी मांगी है लेकिन वे इस बात का ज़िक्र कभी भी नहीं करेंगे |
कम्युनिस्ट नेताओं की माफ़ी का पत्र