Science of piercing ear : हिन्दू धर्म में जिनती भी मान्यताएं है वे सभी कुछ न कुछ वैज्ञानिक महत्व रखतीं है | यह कहना सही ही होगा कि हमारे ऋषि एक प्रकार से वैज्ञानिक ही थे जो हर बात को जानतें है | हमारे धर्म में कर्ण भेदन का एक महत्वपूर्ण पक्ष है जिसके अनेक वैज्ञानिक कारण हैं :
- जब पुरुषों की आयु बडती है तो शौच करते समय जौर लगाने से मूत्र के साथ वीर्य निकलने लगता है और यह एक भयंकर रोग का कारण बन जाता है लेकिन यदि हम अपने कान बिंधवा लिए जाये तो इस प्रकार के रोग नहीं होते | इस प्रकार हमारे ऋषि मुनि अपने आप को सुरक्षित रखते थे | Science of piercing ear
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- कानों के भेदन से व्यक्ति को मधुमेह तथा मल मूत्र सम्बन्धी रोग नहीं होते और इस प्रकार की अनेक बीमारियां दूर रहती है |
- लघुशंका करते समय जेनुधारी अपने जनेऊ को कान के आस पास लपेट लेतें है , आयुर्वेद के अनुसार मनुष्य के दाहिने कान से होकर लोहितिका नाम की एक विशेष नाड़ी मल मूत्र द्वार तक जाती है | यदि कान की इस नाड़ी को दबाया जाये तो मनुष्य का मुत्रद्वार खुल जायेगा और और हमारे शरीर का सारा मूत्र आसानी से निकल जायेगा
- कान के पीछे की इस नाड़ी का सम्बन्ध हमारे अंडकोष से भी है | कानो को छेदने से हर्निया जैसे रोगों की रोकथाम की जा सकती है और मूत्र सम्बन्धी रोग भी नहीं होते | Science of piercing ear
Reference: tentaran