Saint Who Invented Battery : हम सभी ने सुना है कि बैटरी का अविष्कार सबसे पहले बेंजामिन फ्रेंक्लिन ने किया था लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं है | वास्तव में बैटरी का अविष्कार कई वर्षो पूर्व अगस्त्य मुनि जी द्वारा कर दिया गया था | अपनी लिखी हुई अगस्त्य सहिंता में उन्होंने बैटरी के निर्माण की विधि का वर्णन किया है |
वे लिखते है
| संस्थाप्य मृणमये पात्रे, ताम्र पत्र सुशोभितम्।
छादयेच्छिखिग्रिवेण चाद्रीभः काष्टपासुभि: ||१ ||
|दस्तालोष्ठोनधिताव्यः पारदाच्छादितस्ततः।
संयोगाज्जायते तेजो मैत्रवरूण संज्ञितम्||२||
अर्थात Saint Who Invented Battery
- एक मिटटी का बर्तन लें और उसे अंदर तक अच्छी तरह से साफ़ कर लें |
- उसमें ताम्रपत्र और शिखिग्रिवा (मोर की गर्दन के रंग जैसा पदार्थ यानि कॉपरसल्फेट) डालें और फिर उस के बाद लकड़ी के गिले बुरादे से भर दें |
- उसके बाद लकड़ी के गीले बुरादे के ऊपर पारा आच्छादित दस्त लोष्ट रखें |
- इस तरह दोनों के जोड़ने अथार्त तारों के जोड़ने से मित्रावरुण शक्ति की उत्पति होगी |
- इस विधि का प्रयोग करके 1.138 वाल्ट की बिजली स्वदेशी विज्ञानं संशोधन संस्थान के द्वारा पैदा की गई थी |
- इसके आगे लिखा है की सौ विधुत कुम्भों को शक्ति का पानी में प्रयोग करने पर पानी अपना रूप बदल कर प्राण वायु और उडान वायु में परिवर्तित हो जाता है |
- इससे यह स्पष्ट होता है कि अंग्रेजों ने वास्तव में हमारा ही ज्ञान लेकर ख्यातिया प्राप्त की है |
१.हजारों वर्ष पूर्व ही भारतवासी बैटरी बनाकर विद्दुत धारा उत्पन्न करना जान गये थे!
२. विद्दुत धारा का उपयोग कर जल को हाईड्रोजन तथा आक्सीजन में तोड़ने में सफल हो चुके थे
(३) हाईड्रोजन का उपयोग कर’यान को आकाश मे उड़ाना’ जानते थें!
इस प्रकार सिद्ध होता हैं कि वेद सूत्र विज्ञानं के स्रोत हैं अर्थात दोनो में अत्यन्त समानता हैं! भारतिय शिल्पशास्त्र तकनीकी शब्दों का भी धनी था पर जरूरत हैं इसे आधुनिक संदर्भो में विश्लोषित करने की! इसी प्रकार वेदो मे बार बार प्रयुक्त शब्दावली जैसे तेज,वरूण,मित्र,वरूण, प्राणवायु आदि जिन्हें आधुनिक विज्ञान के अनुसार निम्र रूपो में देंख सकते हैं-
तेज=Electric charge
मित्र=Positive charge(+)
वरूण=Negative charge(-)
प्राणवायु=Oxygen Gas
उदान वायु=Hydrogen gas
शिखिग्रिवेण=copper sulphate
पारद=mercury
यानकम्=Flying machine
जल भंग= decomposition of water
शिल्पशास्त्रम्=technology
आद्र काष्ठपांसु=moisten woodaw dust
दस्तालोष्ठ=Zink powder mond
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इसी क्रम मे यह श्लोक भी विचारने योग्य हैं! Saint Who Invented Battery
अनेन जल भंग: अस्ति प्राणोदानेषु वायुषु।
एवं शतांनां कुम्भानां संयोग कार्यकृत स्मृत:!!३!!
वयुबन्ध वस्त्रेण निबद्धो यान मस्तके।
उदान स्वयद्दुत्वे विभत्र्याकाश यानकम्!!४!!
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अर्थात
- ये मित्र वरूण नामक दोनो तेज जल का विभाजन प्राणवायु तथा उदानवायु में कर देते हैं!
- इसके लिये इस प्रकार के सौ पात्रों का प्रयोग करना चाहिये!
- वायु बन्धक वस्त्र में उदानवायु को भरना चाहिये!
- उदानवायु भरे वस्त्र को किसी यान के मस्तक से बाँध देने से, यह यान को आकाश मे ले जाता है!
उपर्युक्त तथ्यो सें स्पष्ट होता हैं कि विज्ञान सम्मत ज्ञान से भरपूर वेदों को पुनः समीक्षा करके स्थापित किया जा सका, तो भारत के प्रति विश्व की दृष्टि ही बदल सकती है!!
Agathiyar, Tamil Nadu