RSS takeover goa : भारत का स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त 1947 है। उस दिन अंग्रेज भारत से चले गए थे। फ्रांस के कब्जे वाले पांडिचेरी कार्यक्रम तथा चंद्र नगर भी उस दिन भारत को मिल गए थे। भारत के वे भू-भाग जो पुर्तगालियों के कब्जे में थे तब भी गुलाम ही बने रहे। RSS takeover goa
संघ की भूमिका RSS takeover goa
इन्हें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवकों ने 2 अगस्त 1954 को अपने शौर्य पराक्रम
और बलिदान से स्वतंत्र कराया गया था। उसमें में बड़ी रोचक एवं प्रेरक है।
भारत के गुजरात और महाराष्ट्र प्रांतों के मध्य में बसे गोवा, दादरा नगर, हवेली दमन
एवं दीव पुर्तगाल के अधीन थे। RSS takeover goa
15 अगस्त के बाद नेहरू के नेतृत्व में बनी कांग्रेस सरकार ने जब इसकी मुक्ति का
कोई प्रयास नहीं किया तो स्वयं सेवकों ने जनवरी 1954 में संघ के प्रचारक रामभाऊ वाकणकर
के नेतृत्व में यह बीड़ा उठाया। वरिष्ठ कार्यकर्ताओं से अनुमति लेकर वे इस काम के योग्य
सभी साधन एकत्र करने लगे। RSS takeover goa
गुजराती मराठी आदि भाषाओं के ज्ञाता विश्वनाथ नरवने ने पूरे समय सिलवासा में रहकर व्यूह रचना की | हथियारों के लिए काफी धन की आवश्यकता थी। यह कार्य प्रसिद्ध मराठी गायक व
संगीतकार सुधीर फड़के को सौंपा गया। ऐसे में धन संग्रह के लिए सुधीर फड़के ने
लता मंगेशकर के साथ मिलकर कार्यक्रम आयोजित किया। RSS takeover goa
तत्कालीन सरसंघचालक श्री गुरु जी को योजना बताकर उनका आशीर्वाद भी ले लिया।
स्वयंसेवकों के इस दल को मुक्तिवाहिनी नाम दिया गया है| 31 जुलाई की तूफानी रात में सब
पुणे रेलवे स्टेशन पर एकत्र हुए। वहां से कई टुकड़े में बढ़कर एक अगस्त को मूसलाधार
वर्षा में मुंबई होते हुए सब सिलवासा पहुंच गए। RSS takeover goa
योजना अनुसार एक निश्चित समय पर सब ने हमला बोल दिया और पुलिस थाना ,न्यायालय
आदि को मुक्त करवा लिया गया |
केवल 116 स्वयंसेवकों ने आज़ादी दिलाई
पुर्तगाली सैनिकों ने जब यह माहौल देखा तो उन्होंने
डर कर हथियार डाल दिए। अब सब पुर्तगाली शासन के मुख्य भवन पर पहुंच गए।
काफी संघर्ष के बाद प्रमुख प्रशासक फिन्दाल्गो और उसकी पत्नी को बंदी बना लिया ,
पर उनकी प्रार्थना पर सुरक्षित बाहर जाने दिया गया । 2 अगस्त 1954 को प्रातः जब
सूर्य उदय हुआ तो शासकीय भवन पर तिरंगा फेहरा दिया गया | RSS takeover goa
आज सुनने में बड़ा आश्चर्य लगता है, पर यह सत्य है कि केवल 116 स्वयंसेवकों ने एक रात में ही इस क्षेत्र को स्वतंत्र करा दिया था। इनमें सर्वश्री बाबुराव भिड़े , विनायकराव, आप्टे, बाबासाहेब पुरंदरे, डॉ श्रीधरगुप्ते, बिंदु माधव जोशी, मेजर प्रभाकर कुलकर्णी ,श्रीकृष्ण भिड़े , नाना काजेकर , त्र्यम्ब्कर भट्ट आदि की प्रमुख भूमिका थी।
एक अन्य बात भी उल्लेखनीय है कि चूँकि संघ के स्वयंसेवकों ने इन इलाकों को स्वतंत्र करवाया था | इसलिए नेहरू जी ने इन्हें स्वतंत्रता सेनानी ही नहीं माना और 1998 में केंद्र में अटल बिहारी वाजपेई के शासनकाल में उन्हें मान्यता मिली। RSS takeover goa