Reality of tajmahal : ताजमहल की वास्तवकिता बताने वाली श्रंखला में यह दूसरा लेख है | इस लेख में कुछ और तथ्यों को जोड़ा गया है जो अनेक सवाल पैदा करते है :
- शाहजहां का दरबारी दस्तावेज़ शाहजहांनामा अपने खंड 1 के प्रष्ट 403 पर कहता है कि अतुल्य वैभवशाली गुंबद वाली भव्य आलिशान इमारत को मुमताज को दफनाने के लिए राजा जय सिंह से लिया गया है जो जयपुर के राजा थे |
- ताजमहल के प्रवेश द्वार के साथ लगे शिलाओं पर हिंदी, उर्दू, अंग्रेजी आदि भाषाओं में लिखा है कि मुमताज की कब्र के रूप में शाहजहां ने सन 1631 से 1653 तक ताजमहल का निर्माण कराया लेकिन इसका कोई ऐतिहासिक आधार नहीं है। दूसरा यह है कि मुमताज महल नाम ही झूठा है जबकि मुगल दस्तावेजों में मुमताज़ उल जमानी नाम मिलता है |
- ताजमहल निर्माण की अवधि जो 22 वर्ष की कही गई है। यह मुगल दरबार के दस्तावेजों पर आधारित ना होकर वह अन्य नाम के एक फ्रेंच सराफ के संस्करणों से निष्कर्ष निकाला गया है | Reality of tajmahal
- औरंगजेब द्वारा अपने पिता को लिखा आदाब ए आलमगिरी में लिखा है कि मुमताज़ की कब्र वाली इमारत सात मंजिला थी और उसके पुराने होने के कारण उसमें पानी टपकता था और गुम्बद के उतरी भाग में दरार पड़ गई थी और औरंगजेब ने उसे खुद सही करवाया था | इसका अर्थ साफ़ है कि ताज उस समय में इतना पुराना हो गया था कि उसकी तत्काल मरम्मत करने की आवश्यकता पड़ी | Reality of tajmahal
- दिसंबर 18 , 1633 के शाहजहां द्वारा महाराजा जय सिंह को भेजे गये दो पत्र कपड़द्वारा नाम के जयपुर के गुप्ते विभाग में सुरक्षित है उनके क्रमांक 176 और 77 दिए गए हैं। सारी संपत्ति सहित है। ताजमहल का शाहजहां द्वारा अपहरण किए जाने की जानकारी उन पत्रों में लिखे होने से जयपुर नरेश की असमर्थता को छिपाने के लिए छुपाये गये है |
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- राजस्थान के राजपूतों के ऐतिहासिक दस्तावेज बीकानेर में सरकारी अभिलेखागार में रखे गए हैं। उनमें शाहजहां द्वारा जय सिंह को भेजे पत्रों के अलावा एक चौथा पत्र भी है| उसमे जयसिंह को संगमरमर तथा संगतराश भेजने को कहा गया है ताजमहल और इसके अंतर्गत सारी संपत्ति हड़प करने के बाद उसमें मुमताज की कब्र बनाने और कुरान की आयतें लिखाने हेतु शाहजहां जय सिंह से ही संगमरमर तथा संगतराश मंगवा रहा है यह देखा जयसिंह को बहुत गुस्सा आया तथा उसने ना ही पत्रों का कोई उत्तर दिया ना ही संगमरमर या संगतराश भेजें। Reality of tajmahal
- मुमताज की मृत्यु के लगभग 2 वर्ष के अंदर शाहजहाँ ने संगमरमर की मांग करते हुए जय सिंह को 3 पत्र भेजे यदि वास्तव में 22 वर्ष की कालावधि में शाहजहां ने ताज निर्माण करवाया होता तो 10 से 15 वर्षों के बाद ही संगमरमर की जरूरत पडती |लेकिन उसने मुमताज की मृत्यु के तुरंत बाद सामान मंगवाया । इतना ही नहीं इन तीनों पत्र में ताजमहल मुमताज और उसके दफन का कोई उल्लेख नहीं है। उसकी लागत और पत्थर की मात्रा कभी भी उनमें कोई लेख नहीं है।