Radhabinod Pal

कौन है पद्म विभूषण Radhabinod Pal , जापान में इन्हें मन्दिरों में भगवान की तरह पूजा जाता है

(जस्टिस राधाबिनोद पाल का स्मारक – फोटो : Social media)

हिन्दू देवी के नाम है जापान के इस शहर का नाम

टोक्यो ट्रायल क्या है ? Radhabinod Pal

कलकत्ता हाई कोर्ट के एक जज, कलकत्ता यूनिवर्सिटी के उपकुलपति एवं कई न्यायिक आयोगों के सदस्य रह चुके राधाविनोद पाल को वैश्विक पहचान तब मिली जब उन्हें द्वितीय विश्व युद्ध के उपरान्त जापान के खिलाफ हुए टोक्यो ट्रायल के लिए एक जज के रूप में चयनित किया गया। Radhabinod Pal 

ट्रायल क्या था, बस सजा सुनानी थी। युद्ध का सारा दोष पराजित पक्ष पर थोपना था। एशिया का मामला था इसलिए नाम के लिए ही सही मगर दो न्यायवादी एशिया से चुने गए। एक जापान-पीड़ित फिलीपींस से और दूसरे भारत से। बाकी सारे यूरोपीय और अमेरिका से थे। चीन तो स्वयं विजयी पक्ष की ओर से था।

राधाबिनोद पाल

(टोक्यो ट्रायल्स के दौरान अदालत में मौजूद युद्ध अपराधी – फोटो : Social media)

करीब दो साल चले इस ट्रायल में सैंकड़ों सजाएं हुईं। सर्वसम्मत्ति से फैसला हुआ। जापान हर तरह से टूट चुका था। Radhabinod Pal

1952, अमरीकी सेना जापान से एक संधि के बाद हटी और टोक्यो ट्रायल की फाइल पर चढ़ी धूल झड़ने लगी। जज राधाबिनोद पाल के असहमति से भरे 1235 पन्ने सामने आये। सवाल ट्रायल के औचित्य पर ही उठा दिए थे जज पाल ने और न्यायवादियों की भीड़ में ऐसा करनेवाले वो अकेले थे।

प्रश्न जब स्वयं पर उठने लगे तो विजयी पक्ष ने उनकी रिपोर्ट पर प्रतिबन्ध लगा दिया। हालाँकि इन्होने जापान को दोषमुक्त नहीं किया था, कर भी नहीं सकते थे।

जापान ने जज पाल को गम्भीरता से लिया। जापानियों को बाद में पता चला कि सूली पर चढ़ने के पहले युद्धकालीन प्रधानमन्त्री तोजो राधाबिनोद पाल के सम्मान में हाइकू ( एक प्रकार की जापानीज़ कविता ) लिख छोड़ गए थे। जापानियों ने इसे आत्मसम्मान के पुनर्जागरण का प्रथम चरण माना और इसे नैतिक विजय मानकर लोकतंत्र की स्थापना में जुट गए।

क्या आप जानते हैं कि चीन और जापान जानी दुश्मन क्यों है?

राधाबिनोद पाल का मेमोरियल  Radhabinod Pal

जज पाल के सम्मान में एक मेमोरियल बनाया गया – पाल-शिमोनाका मेमोरियल हॉल। वहां शिलालेख पर राधाबिनोद पाल के वचन अंकित हैं और लिखा है – बीसवीं सदी के महान संत महात्मा गांधी की यही शिक्षा है। विश्व के मंच पर भी कुछ इसी तरह इस फैसले को देखा गया।

जापान आज भी इस जज को याद रखे हुए है। 2007 में जब जापानी प्रधानमन्त्री शिंजो एबे भारत आये तब जज पाल के पुत्र से कोलकाता में मुलाकात की। तस्वीरों का आदान-प्रदान हुआ जिनमे से एक जज पाल की जापानी प्रधानमन्त्री शिंजो के नाना और स्वयं प्रधानमन्त्री रह चुके नोबस्के किशी के साथ थी जब वो युद्ध अपराधी थे।

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Refrence : Wikipedia 

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