पुष्यमित्र शुंग - Pushyamitra Shunga
पुष्यमित्र शुंग - Pushyamitra Shunga

पुष्यमित्र शुंग – Pushyamitra Shunga

पुष्यमित्र शुंग – Pushyamitra Shunga : यह तो हम सभी जानते हैं कि भारत में आज हिन्दू धर्म के लोग बहुत ज्यादा हैं, भारत सदैव से ही हिन्दू संस्कृति का धरोवर रहा है। बीच-बीच में विदेशी मुगल, बौद्ध और ना जाने – जाने किन किन लोगों ने हिन्दू राष्ट्र को तोड़ने की कोशिश कि पर सभी असफल ही रहे।

आज हम बात करेंगे एक ऐसे ही महान हिन्दू सम्राट की जिसकी शक्ति और साहस ने भारत को प्राचीन समय में एक बुद्ध देश बनने चे बचा लिया था।

2100 साल पहले की कहानी  Pushyamitra Shunga

बात आज से 2100 साल पहले की है। एक किसान ब्राह्मण के घर एक पुत्र ने जन्म लिया। नाम रखा गया पुष्यमित्र। पूरा नाम पुष्यमित्र शुंग। और वो बना एक महान हिन्दू सम्राट जिसने भारत को बुद्ध देश बनने से बचाया। अगर ऐसा कोई राजा कम्बोडिया, मलेशिया या इंडोनेशिया में जन्म लेता तो आज भी यह देश हिन्दू होते।

जब सिकन्दर ब्राह्मण राजा पोरस से मार खाकर अपना विश्व विजय का सपना तोड़ कर उत्तर भारत से शर्मिंदा होकर मगध की और गया था उसके साथ आये बहुत से यवन वहां बस गए। अशोक सम्राट के बुद्ध धर्म अपना लेने के बाद उनके वंशजों ने भारत में बुद्ध धर्म लागू करवा दिया। ब्राह्मणों के द्वारा इस बात का सबसे अधिक विरोध होने पर उनका सबसे अधिक कत्लेआम हुआ।

जब पुष्यमित्र की आँखों में आया रक्त

हज़ारों मन्दिर गिरा दिए गए। इसी दौरान पुष्यमित्र के माता पिता को धर्म परिवर्तन से मना करने के कारण उनके पुत्र की आँखों के सामने काट दिया गया। बालक चिल्लाता रहा मेरे माता पिता को छोड़ दो। पर किसी ने नही सुनी। माँ बाप को मरा देखकर पुष्यमित्र की आँखों में रक्त उतर आया। उसे गाँव वालों की संवेदना से नफरत हो गयी। उसने कसम खाई की वो इसका बदला बौद्धों से जरूर लेगा और जंगल की तरफ भाग गया।

शेर से सामना Pushyamitra Shunga

एक दिन मौर्य नरेश बृहद्रथ जंगल में घूमने को निकला। अचानक वहां उसके सामने शेर आ गया। शेर सम्राट की तरफ झपटा। शेर सम्राट तक पहुंचने ही वाला था की अचानक एक लम्बा चौड़ा बलशाली भीमसेन जैसा बलवान युवा शेर के सामने आ गया। उसने अपनी मजबूत भुजाओं में उस मौत को जकड़ लिया। शेर को बीच में से फाड़ दिया और सम्राट को कहा की अब आप सुरक्षित हैं। अशोक के बाद मगध साम्राज्य कायर हो चुका था। यवन लगातार मगध पर आक्रमण कर रहे थे। पुष्यमित्र शुंग

पुष्यमित्र शुंग - Pushyamitra Shunga
पुष्यमित्र शुंग – Pushyamitra Shunga

सम्राट ने ऐसा बहादुर जीवन में ना देखा था। सम्राट ने पूछा ” कौन हो तुम”। जवाब आया ” ब्राह्मण हूँ महाराज”। सम्राट ने कहा “सेनापति बनोगे”? पुष्यमित्र ने आकाश की तरफ देखा, माथे पर रक्त तिलक करते हुए बोला “मातृभूमि को जीवन समर्पित है”। उसी वक्त सम्राट ने उसे मगध का उपसेनापति घोषित कर दिया।

सेनापति की ओर

जल्दी ही अपने शौर्य और बहादुरी के बल पर वो सेनापति बन गया। शांति का पाठ अधिक पढ़ने के कारण मगध साम्राज्य कायर ही चूका था। पुष्यमित्र के अंदर की ज्वाला अभी भी जल रही थी। वो रक्त से स्नान करने और तलवार से बात करने में यकीन रखता था। पुष्यमित्र एक निष्ठावान हिन्दू था और भारत को फिर से हिन्दू देश बनाना उसका स्वपन था। पुष्यमित्र शुंग

यवनों का आक्रमण

आखिर वो दिन भी आ गया। यवनों की लाखों की फ़ौज ने मगध पर आक्रमण कर दिया। पुष्यमित्र समझ गया की अब मगध विदेशी गुलाम बनने जा रहा है। बौद्ध राजा युद्ध के पक्ष में नही था। पर पुष्यमित्र ने बिना सम्राट की आज्ञा लिए सेना को जंग के लिए तैयारी करने का आदेश दिया। उसने कहा की इससे पहले दुश्मन के पाँव हमारी मातृभूमि पर पड़ें हम उसका शीश उड़ा देंगे।

यह नीति तत्कालीन मौर्य साम्राज्य के धार्मिक विचारों के खिलाफ थी। सम्राट पुष्यमित्र के पास गया। गुस्से से बोला ” यह किसके आदेश से सेना को तैयार कर रहे हो”। पुष्यमित्र का पारा चढ़ गया। उसका हाथ उसके तलवार की मुठ पर था। तलवार निकालते ही बिजली की गति से सम्राट बृहद्रथ का सर धड़ से अलग कर दिया और बोला ” ब्राह्मण किसी की आज्ञा नही लेता”। Pushyamitra Shunga

यवनों की हार

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हज़ारों की सेना सब देख रही थी। पुष्यमित्र ने लाल आँखों से सम्राट के रक्त से तिलक किया और सेना की तरफ देखा और बोला “ना बृहद्रथ महत्वपूर्ण था, ना पुष्यमित्र, महत्वपूर्ण है तो मगध, महत्वपूर्ण है तो मातृभूमि, क्या तुम रक्त बहाने को तैयार हो??”। उसकी शेर सी गरजती आवाज़ से सेना जोश में आ गयी। सेनानायक आगे बढ़ कर बोला “हाँ सम्राट पुष्यमित्र । हम तैयार हैं”। पुष्यमित्र ने कहा” आज मैं सेनापति ही हूँ।चलो काट दो यवनों को।”।

जो यवन मगध पर अपनी पताका फहराने का सपना पाले थे वो युद्ध में गाजर मूली की तरह काट दिए गए। एक सेना जो कल तक दबी रहती थी आज युद्ध में जय महाकाल के नारों से दुश्मन को थर्रा रही है। मगध तो दूर यवनों ने अपना राज्य भी खो दिया। पुष्यमित्र ने हर यवन को कह दिया की अब तुम्हे भारत भूमि से वफादारी करनी होगी नही तो काट दिए जाओगे।

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