Purushottam maas
Purushottam maas

Purushottam maas – 160 साल बाद इस बार ‘पुरुषोत्तम मास’ पर बन रहा है विशेष संयोग

Purushottam maas  –  18 सितंबर 2020 को पंचांग के अनुसार प्रतिपदा की तिथि है.
मलमास की शुरूआत इसी दिन से होने जा रही है. अधिक मास को मलमास, पुरुषोत्तम मास के नामों से
भी जाना जाता है. मलमास में भगवान विष्णु की पूजा करने से सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूर्ण होती है.
अधिक मास में कुछ नियम भी बताए गए हैं, इन नियमों का पालन करने से अधिक मास में भगवान
विष्णु का आर्शाीवाद प्राप्त होता है. Purushottam maas 

Purushottam maas 
Purushottam maas 

क्या होता है अधिक मास-

प्रमादीकृत नामक नवसंवत्सर 2077 प्रारंभ हो चुका है। इस नवीन संवत्सर में अधिक मास रहेगा। जैसा
कि नाम से ही स्पष्ट है जब हिंदी कैलेंडर में पंचांग की गणनानुसार 1 मास अधिक होता है, तब उसे
अधिक मास कहा जाता है। हिंदू शास्त्रों में अधिक मास को बड़ा ही पवित्र माना गया है, इसलिए अधिक
मास को ‘पुरुषोत्तम मास’ भी कहा जाता है। Purushottam maas 

‘पुरुषोत्तम मास’ अर्थात् भगवान पुरुषोत्तम का मास। शास्त्रों के अनुसार अधिक मास में व्रत पारायण
करना, पवित्र नदियों में स्नान करना एवं तीर्थ स्थानों की यात्रा का बहुत पुण्यप्रद होती है।

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आइए जानते हैं कि अधिक मास कब व कैसे होता है?

पंचांग गणना के अनुसार एक सौर वर्ष में 365 दिन, 15 घटी, 31 पल व 30 विपल होते हैं जबकि चंद्र वर्ष
में 354 दिन, 22 घटी, 1 पल व 23 विपल होते हैं। सूर्य व चंद्र दोनों वर्षों में 10 दिन, 53 घटी, 30 पल एवं
7 विपल का अंतर प्रत्येक वर्ष में रहता है। Purushottam maas 

इसी अंतर को समायोजित करने हेतु अधिक मास की व्यवस्था होती है। अधिक मास प्रत्येक तीसरे वर्ष
होता है। अधिक मास फाल्गुन से कार्तिक मास के मध्य होता है। जिस वर्ष अधिक मास होता है उस वर्ष में
12 के स्थान पर 13 महीने होते हैं। अधिक मास के माह का निर्णय सूर्य संक्रांति के आधार पर किया
जाता है। जिस माह सूर्य संक्रांति नहीं होती वह मास अधिक मास कहलाता है।

Purushottam maas 

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