ता ऊपर सुल्तान है मत चूके चौहान ।। Prithviraj chauhan killed ghori
इन पंक्तियों के साथ चलता है एक शब्द भेदी बाण और आक्रांता मुहम्मद गोरी की सांसे खत्म ।
चलिये चलते हैं इतिहास के पन्नों में और जानते हैं विस्तार से
दोस्तों एक समय था राजस्थान में पृथ्वी राज चौहान और दिल्ली में जयचंद की दोस्ती बहुत प्रसिद्ध थी और इन दोनों के कारण कोई विदेशी जीत कर नही जा पाता था । और कुछ यही हुआ तराइन के प्रथम युद्ध (1191 ई) मे जिसमें मोहम्मद गौरी बुरी तरह हारा ।
पर कहावत है दुश्मन से बाजी जीते थे हम तो अपनों से हारे थे
जयचंद की बेटी संयोजिता को पृथ्वी राज से प्रेम हो जाता है और दोनों शादी के लिये राजी हो जाते हैं पर जयचंद को ये अपना अपमान लगता है जिसके चलते उसने पृथ्वीराज के अपमान के लिए अपनी बेटी का स्वयंवर रखा और पृथ्वीराज को आमंत्रण नही दिया ।
संयोजिता ने ये बात चौहान को बता दी और भरे स्वयंवर में पृथ्वीराज संयोजिता को लेकर चले जाते हैं जिसको जयचंद अपना अपमान समझ लेता है (विनाश काले विपरीत बुद्धि) ।
वो हिन्दू योद्धा सिर कटने के बाद भी खिलजी की सेना से लड़ता रहा
बस फिर क्या था जयचंद मोहम्मद गौरी से मिल जाता है और गद्दारी कर देता है अपने बेटी और दामाद को ही मरवाने के लिए गोरी का साथ दे देता है तराइन के द्वितीय युद्ध मे (1192 ई)। Prithviraj chauhan killed ghori
पृथ्वीराज जयचंद की गद्दारी से यह युद्ध हार जाते हैं यहां से दो मत हैं
पहला मत पृथ्वी राज चौहान को युद्ध भूमि में छल से गौरी मार देता है। और चंदावर के युद्ध (1194 ई) मे जयचंद को भी मार कर उत्तरी भारत के अधिकांश क्षेत्र पर कब्जा कर लेता है और अपनी बेटी की शादी आपने गुलाम कुतुबुद्दीन ऐबक से करके सारा भारत का राज उसको दे देता है और गुलाम वंश की स्थापना होती है। Prithviraj chauhan killed ghori
पर मैं इस थ्योरी को नही मानती ।
पृथ्वी राज रासो के अनुसार ,
तराइन के द्वितीय युद्ध में जयचन्द की गद्दारी से पृथ्वीराज चौहान हार जाते हैं जिससे उनको बंदी बना लिया जाता है उनके साथ उनके दरवारी कवि चंदवरदाई भी होते हैं कहा जाता है उनकी आखों में गर्म सलाखें डाल दी जाती हैं जिससे चन्द्रवरदाई ने गौरी को मारने का प्लान बनाया। और उन्होंने पृथ्वीराज की शब्द भेदी बाण चलाने की कला को गौरी को बताया जिसपर गौरी को विश्वास नही हुआ जिससे गौरी ने प्रयत्क्ष प्रमाण चाहा बस लग गया मौके पर चौका चन्द्रवरदाई ने शब्दों के माध्यम से गौरी की पूर्ण स्थिति का वर्णन किया और पृथ्वी राज चौहान के बाण ने गौरी के सीने को छलनी कर दिया।
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इस प्रकार पृथ्वीराज चौहान ने मोहम्मद गौरी को मारा था। Prithviraj chauhan killed ghori
Source – Wikipedia