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गुमनामी बाबा ही थे नेता जी , प्रणब मुखर्जी भी मिले थे उनसे

Pranab Mukherjee met gumnami baba : 1950 के दशक में वे  भगवान जी के नाम से जाने जाते थे

वे उत्तर प्रदेश के लखनऊ, नैमिषारण्य। , बस्ती, अयोध्या और फैजाबाद में कई जगह पर रहे ।

1980 के दशक में उन्हें गुमनामी बाबा के नाम से जाना जाने लगा। कुछ समय तक मृत व्यक्ति आराम

से अपनी जिंदगी बसर कर रहा था। वह अपने घर से आखिरी बार एक नया चश्मा खरीदने निकले थे।

चौधरी उन्हें अमीनाबाद के एक मशहूर चश्मे वाले के यहां लेकर गए और वहां जैसे ही उन्होंने

अपने सिर से पगड़ी उतारी बगल में खड़ा ग्राहक बोल पड़ा नेता जी नेता जी । इसी पल दो

नौजवान उनके कदमों में गिर पड़े और वे अपना रहस्य खुलते देख  कार में बैठ कर चले गये|

गुमनामी बाबा ही थे नेता जी Pranab Mukherjee met gumnami baba

  • 1983 में वे  फैजाबाद में वे चले गए उनको यहां से ले जाने वाले थे  सर्जन डॉक्टर आरपी मिश्रा,

यहां वह एक बंगले  के पीछे बने  हुए किराए के एक दो कमरे के मकान में रहते थे |

बंगले का नाम उसके मालिक ठाकुर गुरुबसंत सिंह ने राम भवन रखा था ।

उम्र बढ़ने के साथ  भगवन जी खुलकर बोलने लगे थे।

  • दो व्यक्तियों जिनमें से एक आगे चलकर उत्तर प्रदेश के डीआईजी बने और दूसरे

सीबीआई के निदेशक बने ने सेवानिर्विती किए बाद बताया  कि नेताजी के जीवित

होने और उत्तर प्रदेश में होने का  सितंबर 1985 से पहले ही कई अफसरों को पता था ।

  • एक बार उन्होंने अपने पनडुब्बी यात्रा के बारे में शिष्यों से बात की थी  वे अपने शिष्यों से

गांधी नेहरू जिन्ना आजाद के बारे में ऐसे बात करते थे मानो वे उनके लिए जीते जाते व्यक्ति रहे हो।

सुनने में तो यह भी आया कि भगवान जी से मिलने वाले प्रतिष्ठित व्यक्ति से प्रणब मुखर्जी भी थे |

एक बार भगवान जी ने उनकी बुद्धिमता और ज्ञान की बढाई की थी।

गुमनामी बाबा के सामान की नीलामी
  • 5 दिसंबर 1985 को लखनऊ के गृह विभाग ने फैजाबाद के डीएम को निर्देश दिए कि

वह इस मामले में विस्तृत रिपोर्ट की प्रतियां जल्दी से जल्दी भेजें, ताकि केंद्र सरकार को

इस बारे में सूचित किया जा सके| Pranab Mukherjee met gumnami baba

  • गुमनामी बाबा विषय पर प्रशासन की उदासीनता की भरपाई करने के लिए जस्टिस एसएस अहमद

और जीबी सिंह ने उसी दिन अंतरिम राहत की घोषणा की। यह बालिका ने प्रतिपक्ष को हिदायत

दी कि छह हफ्तों में इस मामले में हलफनामा दायर करे। मुख्य गुजारिश पर ध्यान देते

हुए फैजाबाद के जिलाधिकारी को निर्देश मिले कि भगवान जी के सारे सामान की सूची तैयार

करवाएं जिससे सारे सामान की जानकारी हो और इस बारे में सामान को अपनी निगरानी में रखे।

  • भगवान जी के सामान की माल सूची बनने का काम  23 मार्च, 1986 से 23 अप्रैल 1987 तक चला।

इस दौरान उनकी छोड़ी हुई लगभग  2673 चीजों की सूची बनाई गई जो भगवान जी के व्यक्तित्व

को समझने में  बेहद कारगर थी। Pranab Mukherjee met gumnami baba

  • अध्यात्म में प्रवीण होते हुए उनके पास हिंदू धर्म पर संस्कृत ,बांग्ला ,हिंदी में कई ग्रन्थ मिले

बाहर की गई अपनी यात्राओं में वह रोलेक्स और ओमेगा गोल्ड की कलाई घड़ियाँ पहनते थे ।

इसके बारे में कभी किसी शिष्य को नहीं पता चला |  जब यह धरोहर सामने आई तो लोगों में

खलबली मच गई। सुभाष चंद्र बोस तब से गोल बढ़िया पहनते थी जब से उनके माता-पिता ने

उन्हें यह भेंट की थी| Pranab Mukherjee met gumnami baba

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नेता जी के सामन की सूचि 
  • उनके सामान की माल सूची बनाते हुए ललिता बोस की उपस्थिति में ही उनके परिवार

की भी तस्वीरें सामने आई खासतौर पर नेताजी के माता-पिता दी। भगवान जी की सबसे

प्रिय वस्तुओं में से एक हो तो पुराने डिजाइन की छतरी भी थी जिसे उन्हें यह कहकर

कोलकाता से भेजा गया था कि वह पिता जानकीनाथ बोस की थी। उसके सामने उनके

पिता जी की टाइप्ड गवाही भी थी जो उन्होंने खोसला आयोग के सामने दी थी |

  • ललिता बोस को कुछ और कागजात भी मिले थे | खोसला आयोग द्वारा भेजे गये

         बुलावे उनके पिता के नाम थे लेकिन वह राम भवन में मिले थे |इसके अलावा स्वतन्त्रता

        सेनानी भाई द्विजेन्द्र नाथ बोस के इसी आयोग के सामने दिए हुए उनके बयान की एक

        प्रति यहाँ पाई गई थी | Pranab Mukherjee met gumnami baba

Source : नेताजी रहस्य गाथा , लेखक : अनुज धर

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