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Moti Ram Mehra : सरबंस दानी बाबा मोती राम मेहरा के पुत्र. मां.पत्नी और मोती राम गन्ने के बेलने में पीड़ कर शहीद कर दिये गये थे। मोती राम के पिता हरिया राम आनन्दपुर साहिब में शहीद हुये थे तथा चाचा हिम्मत राय गुरू गोविन्द सिंह के पांच प्यारों में एक थे।
क्या है गौरव गाथा ? Moti Ram Mehra
नवाब वजीर खान जो गुरू गोबिन्द सिंह जी को जीवित पकड़ने के लिए सात माह तक सेना सहित आनन्दपुर के आसपास भटकता रहा,
परन्तु निराश होकर वापस लौट आया था, उसने जब गुरू साहिब के मासूम बच्चों तथा वृद्ध माता को अपने कैदियों के रूप में देखा तो बहुत प्रसन्न हुआ।
उसने अगली सुबह बच्चों को कचहरी में पेश करने के लिए फरमान जारी कर दिया।
हिन्दू देवी के नाम है जापान के इस शहर का नाम
दिसम्बर की बर्फ जैसी ठण्डी रात को, ठण्डे बुरज में बैठी माता गुजरी जी अपने नन्हें नन्हें दोनों पोतों को शरीर के साथ लगाकर गर्माती और चूम-चूम कर सुलाने का प्रयत्न करती रहीं।
ठण्डे बुरज में छुपते मोती राम जी ने बच्चों को और माता जी को गरम गरम दूध पिलाया |
सुबह होते ही हर जगह बात फेल गई मोती राम ने गुरु गोबिंद सिंह जी के परिवार कि मदद कि है | Moti Ram Mehra
माता गुजरी तथा दो साहिबजादों को तीन दिन तक नवाब सरहिंद से चोरी-चोरी दूध पिलाने व सेवा करने के जुर्म में अपनी माता, पत्नी और पुत्र के साथ गन्ने के कोल्हू में पीड़ कर शहीद कर दिये गये।
माता गुजरी व दो साहिबजादों, जिन्हें सरबंस दानी बाबा मोती राम मेहरा ने जिन परिस्थितियों में दूध पिलाकर सेवा की ,
अपने पूरे परिवार की कुर्बानी दी, उनकीं शौर्यगाथा नीचे दी जा रही है।
