Modesty of Vyas Pith : व्यासपीठ पर बैठने से पहले ऋषि वेदव्यास को जानें और उनके आचरण से शिक्षा लें
त्रिकालदर्शी , ब्रह्मज्ञानी और महान ऋषि वेदव्यास के बारे में आम लोग सिर्फ इतना ही जानते हैं कि वो महाकाव्य महाभारत के रचनाकार हैं । लेकिन ये उनका पूरा परिचय नहीं है ।
महाकाव्य महाभारत के वो रचयिता हैं | वेद, उपनिषद और पुराणों के महान विद्वान थे । उन्हें इन शास्त्रों के लाखों लाख श्लोक कंठस्थ थे ।सनातन धर्म के लिए ऋषि व्यास का सबसे बड़ा योगदान ये है कि उन्होंने वेद, उपनिषद और पुराणों को भगवान गणेश से लिपिबद्ध करवाया । Modesty of Vyas Pith

उन्होंने वेदों को चार भागों में विभाजित किया इसीलिए उनको वेदव्यास कहा जाने लगा । उनका मूल नाम था.. कृष्णद्वैपायन ।
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इसीलिए व्यासपीठ पर बैठने वाले वक्ता से ये अपेक्षा की जाती है कि वो सभी शास्त्रों का अध्येता और महान विद्वान हो लेकिन अब व्यासपीठ पर जिस तरह के लोग बैठ गए हैं वो चिंता का विषय है । Modesty of Vyas Pith
वेद व्यास जी का आचरण :
- ऋषि वेदव्यास ने अपने जीवन में कभी किसी कथित सर्वधर्म समभाव की बात नहीं की ।
- उन्होंने कभी युद्धिष्ठिर और दुर्योधन में कोई साम्य भाव नहीं देखा ।
- महाभारत की रचना में ऋषि वेदव्यास ने दुष्ट शक्तियों को निंदित होते हुए और पुण्यात्माओं को प्रतिष्ठित होते हुए दिखाया ।
- ऋषि व्यास के महाकाव्य में श्री कृष्ण और पाण्डवों के पराक्रम की वंदना है ।
- उन्होंने बताया है कि अंत में सत्य और धर्म की ही विजय होती है ।
- इसी तरह आज के संतों को भी ऋषि व्यास का अनुसरण करते हुए हिंदू समाज को ये बताना चाहिए कि अंत में सत्य सनातन की ही विजय होनी है
- कभी भी इन्होने असुरों को प्रबल नहीं दिखाया .
- महाभारत , गीता को इसे प्रचलित किया जिस से पाप का नाश हो लोगो में सद्भावना हो और विशव का कल्याण हो |
पर आज जितने भी व्यासपीठ पे बैठे कथावाचक हैं , इन्होने कभी सनातन धर्म को उठाने कि बात नहीं कि | हमेशा रोना , धोना प्यार , इश्क जेसे कुकरम लोगो को सिखाते हैं | कुछ कथा वाचक तोह शराब मदिरा को भी सही बतलाते नजर आते हैं |