सैनापति पुष्यमित्र शुंग का विरोध
यह बात सैनापति पुष्यमित्र शुंग को अच्छी नहीं लगी और उन्होंने राजा पर भड़कते हुए कहा कि यह सेना मेरे इशारे पर चलती है, राजा के नहीं और मेरी ही बात मानती है। इतना कहकर सेनापति पुष्यमित्र शुंग वहाँ से चले गए और पंजाब में जाकर यवनों को पकड़कर मौत के घाट उतार दिया और कुछ यवन जो बौद्ध धर्म स्वीकार कर घुसपैठ करने वाले थे उनको राजा के सामने लाकर खड़ा कर दिया और राजा से कहा कि महाराज ये रहे आपके अपराधी जो आपके राज्य में घुसपैठ कर रहे थे काट तो इनका गला, लेकिन राजा वृहदरथ तो बौद्ध धर्म के अनुयायी थे तो उन्होंने चिल्लाते हुए कहा कि तुम किसकी आज्ञा से इन लोगों को पकडकर यहाँ लाए हो । बेदखल हो जाओ में मेरे राज्य से । mauryan empire and pushyamitra shunga
Biography of Pushyamitra Shunga in Hindi
सैनापति पुष्यमित्र शुंग का प्रतिशोध
इस बेईजती को सैनापति पुष्यमित्र शुंग सहन नहीं कर पाए और अपनी सेना लेकर चले गए। कुछ दिन बाद जब राजा वृहदरथ और पुष्यमित्र शुंग का सामना हुआ तो गर्मा-गर्मी की बातों में राजा वृहदरथ ने पुष्यमित्र शुंग पर तलवार चला दी, जिससे गुस्सा होकर पुष्यमित्र ने राजा के सिर को धड़ से अलग कर दिया और इस प्रकार मौर्य वशं का अन्त हो गया ।
चंद्रगुप्त एवं ग्रीक कि राजकुमारी के प्रेम सम्बन्ध और जिस के विरुद्ध में चाणक्य क्यूँ थे ?
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