Maratha rise and fall – मराठों का उत्थान
उत्तर -17 वीं शताब्दी में मराठा शक्ति के उत्कर्ष के प्रमुख कारण निम्नलिखित थे
(1) महाराष्ट्र की भौगोलिक स्थिति-
महाराष्ट्र की भौगोलिक स्थिति ने मराठों के उत्थान में विशेष योगदान दिया। महाराष्ट्र चारों ओर से विन्ध्य एवं सतपुड़ा पर्वतों की श्रृंखलाओं से घिरा हुआ था। इनकी ऊँची चोटियों एवं स्थूल चट्टानों को मराठों ने अपने परिश्रम से सुरक्षात्मक दुर्गों का रूप दे दिया। इन्हीं दुर्गों की सहायता से मराठों ने उत्तर की ओर से आने वाले आक्रमणकारियों से अपनी रक्षा की। उनमें दृढ़ता, आत्म-विश्वास, परिश्रम एवं साहस की भावना जाग्रत हुई, जो उनके उत्कर्ष में सहायक सिद्ध हुई। Maratha rise and fall
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(2) धार्मिक जागरण-
- 15वीं तथा 16वीं शताब्दी के धार्मिक जागरण का भी मराठों के उत्कर्ष पर प्रभाव पड़ा।
- इस धार्मिक जागरण के विचारक एवं नेता गुरु रामदास, एकनाथ, हेमाद्रि, वामन पण्डित, ज्ञानेश्वर, चक्रधर आदि थे।
- इन सन्तों ने सरस गीतों एवं भजनों के द्वारा लोगों में राष्ट्रीय चेतना जाग्रत की।
- इस राष्ट्रीय चेतना के फलस्वरूप मराठे स्वयं को संगठित तथा सुरक्षित करने के लिए प्रेरित हुए।
(3) दक्षिणी राज्यों के प्रशासन में हिन्दुओं का प्रभाव-
मराठों ने लम्बे समय तक दक्षिण के मुस्लिम राज्यों में उच्च सैनिक एवं प्रशासनिक पदों पर कार्य किया था। इससे वे सैनिक तथा प्रशासनिक कार्यों में दक्ष हो गए, जो कालान्तर में उनके लिए बड़ा उपयोगी सिद्ध हुआ।
(4) समाज में भेदभाव का अभाव-
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तत्कालीन महाराष्ट्र के सामाजिक जीवन में जाति-पाँति तथा ऊँच-नीच की भावनाएँ बहुत कम थीं। इसके अतिरिक्त वहाँ पर्दा प्रथा का भी अभाव था, फलस्वरूप वहाँ की वीर महिलाओं ने मराठों को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। Maratha rise and fall
(5) मराठों की चारित्रिक विशेषताएँ-
मराठों की चारित्रिक विशेषताएँ भी उनके उत्थान में सहायक सिद्ध हुईं। उनमें अदम्य साहस, एकता, परिश्रम, कूटनीतिज्ञता एवं स्वतन्त्रता के प्रति प्रेम आदि अनेक चारित्रिक गुण विद्यमान थे, जिनके बल पर मराठों ने मुगल सेना के दाँत खट्टे कर दिए।
(6) शिवाजी का कुशल नेतृत्व –
- मराठे एकजुट होने के लिए प्रयत्नशील थे। ऐसे समय में उन्हें शिवाजी जैसे योग्य, साहसी एवं बुद्धिमान व्यक्ति का नेतृत्व प्राप्त हो गया।
- शिवाजी जैसे वीर और कर्मठ नेता ने मराठों को परतन्त्रता से मुक्ति पाने हेतु प्रेरित किया।
(7) दक्षिण की सल्तनतों का निरन्तर ह्रास –
- शिवाजी के उत्थान के समय तक दक्षिण में केवल गोलकुण्डा तथा बीजापुर की ही सल्तनतें रह गई थीं।
- इनके आन्तरिक कलह ने शिवाजी के उत्थान का मार्ग प्रशस्त किया। Maratha rise and fall