Lahore Built by Luv :धर्माचार्य और इतिहासवेत्ता कहते हैं कि पाकिस्तान के लाहौर शहर को भगवान राम के पुत्र लव ने बसाया था। वहां सनातन धर्मियों ने हजारों साल तक वैष्णव धर्म का झंडा फहराया।
लाहौर पुराने पंजाब की राजधानी है जो रावी नदी के दाहिने तट पर बसा हुआ है। यह बहुत प्राचीन नगर है। लाहौर, कराची के बाद पाकिस्तान में दूसरा सबसे ज्यादा आबादी वाला शहर है। इसे पाकिस्तान का दिल भी कहा जाता है क्योंकि इस शहर का इतिहास, संस्कृति एवं शिक्षा में अत्यंत समृद्ध रहा है। Lahore Built by Luv
पाकिस्तान में इसे बागों के शहर के रूप में भी जाना जाता है। लाहौर को संभवतः ईसवी सन् की प्रारम्भिक शताब्दियों में बसाया गया था और सातवीं शताब्दी ई. में यह इतना महत्त्वपूर्ण था कि उसका उल्लेख चीनी यात्री ह्वेन त्सांग ने किया है।
प्रमाण है शत्रुंजय का अभिलेख
शत्रुंजय के एक अभिलेख में लवपुर या लाहौर को लामपुर कहा गया है। लाहौर शहर रावी एवं वाघा नदी के तट पर भारत-पाकिस्तान सीमा पर स्थित है।
हिन्दू मान्यताओं के अनुसार लाहौर नगर का प्राचीन नाम लवपुर या लवपुरी था, और इसे श्रीरामचन्द्र के पुत्र लव ने बसाया था। कहते हैं कि लाहौर के पास स्थित कुसूर नामक नगर को लव के बड़े भाई कुश ने बसाया था।
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संस्कृत-हिंदी की पांडुलिपियां सुरक्षित
लाहौर के पंजाब विश्वविद्यालय में 8671 संस्कृत-हिंदी की पांडुलिपियां पुस्तकालय में आज भी सुरक्षित हैं। यहां अरबी, फरसी, तुर्की, उर्दू और क्षेत्रीय भाषाओं की कुल बाइस हजार पांडुलिपियां रखी हैं।
काशी हिंदू विश्वविद्यालय वाराणसी संस्कृत विभाग के शोध छात्र राजेश सरकार ने इस संबंध में महत्वपूर्ण जानकारियां प्राप्त की हैं। पौराणिक दृष्टि से माना जाता है कि यह नगर भगवान श्रीरामचंद्र के पुत्र लव ने बसाया था। लाहौर किले के अंदर उनका मंदिर है। लाहौर सांस्कृतिक दृष्टि से भी काफी महत्वपूर्ण माना जाता है।
लाहौर के मंदिर
लाहौर में हिंदू, सिख, जैन संस्कृति के अवशेष दृष्टिगोचर होते हैं। इनमें गुरुद्वारा और पाठशालाएं भी हैं। आर्य समाज मंदिर, महादेव मंदिर, शीतला मंदिर, भैरव मंदिर, रावर रोड पर श्रीकृष्ण मंदिर, अकबरी मंदिर, दूधवाली माता मंदिर, महाराजा रणजीत सिंह समाधि, डेरा साहिब, प्रकाश स्थान श्री गुरु रामदासजी, जैन दिगंबर मंदिर भाभारियान, जैन श्वेतांबर मंदिर भाभारियान के अवशेष मौजूद हैं।
कभी था आर्य समाज का गढ़
हिंदू, मुगल, सिख, पठान एवं ब्रिटिश साम्राज्य की मिश्रित संस्कृति वाला यह नगर कभी आर्य समाज का गढ़ रहा है। यहां से संस्कृत ग्रंथ प्रकाशित हुआ और संस्कृत का प्रचार-प्रसार किया गया। संस्कृत और भारत विद्या का सुप्रसिद्ध प्रकाशन मोतीलाल बनारसी दास की स्थापना भी लाहौर में हुई। Lahore Built by Luv
Source : Baqir, Muhammad (1985). Lahore, past and present. B.R. Pub. Corp. pp. 19–20. Retrieved 2009-05-29.