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वो संत जिनकी तस्वीर लेना असम्भव था-lahiri Mahasaya

lahiri Mahasaya : भारत में अनेको संत हुए है जिनके साथ बहुत सारी विचित्र घटनाएँ जुड़ी रहती है | ऐसे ही एक अंत थे लाहिरी महाशय , उनका जन्म 30 सितम्बर 1828 में बंगाल के घुरनी नाम के गाव में हुआ था | उनके पिता का नाम गौर मोहन लाहिरी और माता का नाम मुक्तकाशी  था | बचपन में  उनकी माता जी का देहांत हो गया था | कहा जाता है कि लाहिरी महाशय बचपन से ही ध्यान करने लग जाते थे | 1846 में उनका विवाह श्रीमति काशी मोहिनी से हुआ था और उनके दो पुत्र और 3 बेटियां थी | वे उस वक्त की रेलवे में कार्यरत थे |   lahiri Mahasaya

कैमरे में तस्वीर न आना :

एक बार लाहिरी महाशय के शिष्यों ने उनसे बिना पूछे उनकी तस्वीर लेनी चाही लेकिन तस्वीर में लाहिरी महाशय के आलावा बाकि सब कुछ था | इस पर तस्वीर लेने वाले ने सोचा कि कहीं उसके कैमरे में खराबी होगी | उसने अनेक बार प्रयत्न किये लेकिन तस्वीर लेना सम्भव न हो सका | तब लाहिरी महाशय ने कहा कि क्या तुम्हारा कैमरा ब्रह्म को पकड़ सकता है | फिर उसके बाद शिष्यों के अनुरोध पर उन्होंने केवल एक मात्र तस्वीर ही खींचने की अनुमति  दी | ये उसी कैमरे से ली गई एक मात्र तस्वीर थी  lahiri Mahasaya

अंग्रेज सुप्रिडेंट की पत्नी को स्वस्थ करना :

लाहिरी महाशय को लोग आनन्दमग्न बाबु भी बुलाते थे | एक बार लाहिरी महाशय ने अपने अधिकारी से पूछा कि तुम क्यों दुखी लग रहे हो | इस पर अंग्रेज अधिकारी ने बताया कि उसकी पत्नी बहुत  बीमार है जिसके कारण वह चिंतित है | इस पर लाहिरी जी ने कहा कि मैं तुम्हे अभी समाचार ला कर देता हूँ और वे एकांत स्थान पर कुछ देर बैठे और वापिस आकर कहा कि तुम्हारी पत्नी ठीक है और वो तुम्हारे लिए एक पत्र लिख रही है और उन्होंने इस पत्र के बारे में कुछ वाक्य भी सुनाये   lahiri Mahasaya

एक सप्ताह के बाद उस अंग्रेज अधिकारी को अपनी पत्नी का पत्र मिला और उसमें वहीं सब लिखा था जो लाहिरी महाशय ने बताया था | कुछ महीनों बाद अंग्रेज की पत्नी भारत में लाहिरी महाशय जी को मिलने आई और उसने बताया कि महीनों पहले लन्दन में मैंने आपको देखा था और आपमें तेजस्वी प्रकाश भी था | आपको देखते ही मैं स्वस्थ हो गई थी |

जापान में समुंदरी जहाज का डूबना :

एक बार लाहिरी महाशय अपने शिष्यों को श्री भगवद्गीता पर प्रवचन दे रहे थे कि तभी अचानक वे हांफने लगे और उनका धम घुटने लगा और चिल्लाने लगे कि जापान के समुन्द्र तट के पास मैं अनेक लोगों के शरीरों के माध्यम से  डूब रहा हूँ | कुछ दिनों बाद उनके शिष्यों ने समाचार पत्रों में जापान में एक समुंदरी जहाज डूबने का समाचार पड़ा जिसमें अनेक लोग मर गये थे |

Detail | Jatak Travels

                                                                                     लाहिरी महाशय के घर के अंदर का द्रश्य

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लाहिरी महाशय सच्चे अर्थों में एक ग्रहस्थ योगी थे | वे संसारिक कामों को भी उतना ही जरूरी समझते थे | लाहिरी महाशय ने अनेक लोगों को क्रिया योग की दीक्षा दी थी और वे सत्य को पाने में कामयाब भी रहे | लाहिरी महाशय का जीवन अध्यात्मिक पथ पर चलने वाले लोगों के लिए एक आदर्श है | lahiri Mahasaya

Source : wikipedia  Autobiography of Yogi

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