king ranbal defeated Arabs : सांतवी सदी में इस्लाम का उदय हुआ और अरब लोग ईरान को
जीत कर अफगानिस्तान यानि हिन्द की सीमा की तरफ आ गये | अफगानिस्तान से ईरान तक इस्लाम का
झंडा फहराने में केवल 10 वर्ष लगे थे | लेकिन गांधार ने इन आक्रमणकारीयों को 300 साल तक रोके रखा |
650 में अरबों का इस स्थान पर आक्रमण शुरू हुआ था |उस समय इराक में अब्दुला इब्न आमिर खलीफा
का राज हुआ करता था | उसने अर रवि इब्न झियाद को हिन्द पर आक्रमण को भेजा था |
राजा रणबल का आक्रमणों का सामना king ranbal defeated arabs
काबुल के दक्षिण पश्चिम में सिस्तान प्रान्त था | जरंग इसकी राजधानी थी | राजा रणबल सिस्तान
का ही राजा था उस मस्य जियाद की सेना ने जरंग पर आक्रमण किया और उन्होंने जरंग पर आपना
अधिकार कर लिया | रणबल को अपनी सेना के साथ पहाड़ों पर आश्रय लिया और कुछ समय बाद
जरंग को फिर से जीत लिया | तीन साल के बाद अब्दुर्हमान ने फिर से सिस्तान पर आक्रमण कर दिया
और जरंग पर कब्जा कर लिया गया |जरंग के बाद वह किश की तरफ बढ़ा | रस्ते में हेलमंद नदी की घाटी
में जुर नामक पर्वत था | उसी पर्वत पर मन्दिर था और इस मन्दिर में देवता की सोने की मूर्ति थी |
अब्दुर्हमान ने उस मन्दिर को तोड़ा और लूटपाट करके बस्ती को आग लगा डाली |
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अरबों को देना पड़ा नज़राना
सिस्तान पर अरबों का कब्ज़ा स्थाई रूप से नहीं हो रहा था | खलीफा मुआविया ने अब्दुर्हमान को सिस्तान
में शासक के रूप भेजा | उसने बड़ी सेना के साथ काबुल पर हमला किया और कबूर के दुर्ग को घेर लिया |
काबुल के सैनिकों को दुर्ग छोड़कर कर जाना पड़ा | इसके बाद राजा ने भारतीय राजाओं से अपने देश के लिए
लड़ने का आवाहन किया और स्थान स्थान से भारत के योद्धा राजा के झंडे के निचे एकत्र हो गये |
युद्ध इतना भयंकर था कि अरबों की सेना को काबुल से भागना पड़ा | इस प्रकार बूस्ट का सारा प्रदेश स्वतंत्र
करवा लिया गया | king ranbal defeated arabs
इसके बाद 683 में अब्दुर्हमान की जगह यजीद को आक्रमण करने के लिए भेजा गया | रणबल की
सेना उसके ऊपर टूट पड़ी | हेलमंद की घाटी में अनेक जगह पर अरबों को हार माननी पड़ी | जुन्झा
नामक स्थान पर यजीद की सेना को घेर लिया गया | यजीद मारा गया और सिस्तान को अरबो से
मुक्त करवा लिया गया | अरबों के दुसरे सेनानी अबू उबैद को रणबल ने कैद कर लिया | उसको छुड़ाने
के लिए अरबों को पांच लाख दिरहम देने पड़े | king ranbal defeated arabs