अलाउद्दीन खिलजी की बेटी फिरोज़ा को हुआ हिन्दू राजा से प्यार और वो उसके लिए हुई थी सती . . .
Khilji Daughter love hindu king : जब भारत के इतिहास में वामपंथी एडिटिंग करने बैठे थे तो इन्होनें बड़ी बहादुरी से हिन्दू राजाओं की
प्रेम कहानियों को तो जला दिया था लेकिन मुस्लिम प्रेम कहानियों को पहले से अधिक निखाकर सामने लाया गया है.
अकबर की प्रेम कहानी से लेकर अन्य कई प्रेम कहानियों पर सरेआम बात हो जाती हैं
लेकिन मुस्लिम शासक अलाउद्दीन खिलजी की बेटी फिरोजा और राजकुमार वीरमदेव की प्रेम कहानी पर कोई बात नहीं होती है.
असल में बड़ी चालाकी से राजकुमार वीरमदेव की प्रेम कहानी को इतिहास से मिटा दिया गया है.

ऐसे हुई थी इस प्रेम कहानी की शुरुआत
कुछ ही हिन्दू इतिहास की किताबों में इस प्रेम कहानी का जिक्र आज बचा हुआ है. Khilji Daughter love hindu king
असल में जब अलाउद्दीन खिलजी की शाही सेना गुजरात के सोमनाथ मंदिर को खंडित करके
वहां का शिवलिंग लेकर दिल्ली लौट रही थी तो तभी बीच में जालौर के शासक कान्हड़ देव चौहान ने
शिवलिंग को पाने के लिए इस सेना के ऊपर हमला कर दिया था.
इस हमले में अलाउद्दीन की सेना हार गयी थी और शिवलिंग को जालौर में स्थापित कर दिया गया था.
अब जब अलाउद्दीन को खबर हुई कि हमारी सेना जालौर में हार गयी है तो
इस बदनामी के बचने के लिए इसने इस युद्ध के मुख्य योद्धा वीरमदेव को अपने यहाँ दिल्ली बुलाया था.
कहते हैं कि दिल्ली के अंदर जाने पर ही अलाउद्दीन की बेटी फिरोजा ने जब वीरमदेव को देखा था तो
उसको पहली नजर में ही इस योद्धा से प्यार हो गया था. उसके बाद अलाउद्दीन ने अपनी बेटी का रिश्ता
वीरमदेव से करने का प्रस्ताव यही पर इस योद्धा के सामने रख दिया था.
तब वीरमदेव ने वक़्त की नब्ज को देखते हुए इस रिश्ते पर विचार करने को बोला था
किन्तु जालौर लौटने पर इस के रिश्ते के लिए मना कर दिया था. Khilji Daughter love hindu king
इस बात से नाराज अलाउद्दीन खिलजी ने भेज दी थी युद्ध को सेना
जब अलाउद्दीन को मालूम हुआ कि वीरमदेव ने फिरोजा के रिश्ते के लिए मना कर दिया है
तो बेटी की जिद्द पूरी करने के लिए इसने जालौर पर हमला किया था. वैसे पहले तो खिलजी चाहता था कि
वीरमदेव को कैद कर उसकी बेटी का विवाह उससे हो जाए किन्तु पहले पांच युद्धों में जब
अलाउद्दीन की सेना की हार हुई थी तो इस बात से अलाउद्दीन काफी नाराज हो गया था.
इस हिन्दू राजा को नजराना दे छुड़वाया था अरबों ने अपना सेनापति
उधर अलाउद्दीन खिलजी की बेटी फिरोजा भी वीरमदेव के लिए किसी भी हद से गुजरने को तैयार हो रही थी.
तब अलाउद्दीन ने अपनी बहुत बड़ी सेना को जालौर भेजा था. सन 1368 के आसपास की तारीख बताई जाती है
जब वीरमदेव के पिता कान्हड़ देव चौहान ने बेटे को सत्ता सौपते हुए एक आखरी युद्ध की ठान ली थी.
इस युद्ध में कान्हड़ देव चौहान की मृत्यु हो गयी थी जिसके बाद वीरमदेव भी अलाउद्दीन की सेना से
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बड़ी बहादुरी से लड़ा था. अंत में वीरमदेव भी वीर गति को प्राप्त हो गया था. Khilji Daughter love hindu king

इस बात से नाराज फिरोजा ने अपनी जान दे दी थी
शाहजहाँ ने नहीं इस हिन्दू राजा ने बनवाया था लाल किला
जब अलाउद्दीन खिलजी की बेटी फिरोजा को वीरमदेव की मृत्यु की खबर मिली थी तो
उसने भी यमुना नदी में कूद कर अपनी जान दे दी थी. इस सच्ची प्रेम कहानी को
हिन्दू-मुस्लिम के नजरिये से देखा गया तो तब इस कहानी ने दम तोड़ दिया था.
वो हिन्दू योद्धा सिर कटने के बाद भी खिलजी की सेना से लड़ता रहा
(इस प्रेम कहानी को जांचने के लिए आपको रावल वीरमदेव नामक पुस्तक जरुर पढ़ लेनी चाहिए.
इस पुस्तक के लेखक देवेन्द्र सिंह हैं.)