India Nepal Relation dispute : भारत और नेपाल यूँ तो दो देशों के रूप में बंटे है लेकिन दोनों ही सांस्कृतिक दृष्टिकोण से एक ही है लेकिन आज दोनों ही देशों में दूरियां बनती जा रहीं है| इसके पीछे अनेक कारण हैं जो भारत और नेपाल के रिश्तों में दरारें डाल रहें है| आइये जानतें है इन कारणों को इतिहास के प्रष्ट पर : India Nepal Relation dispute
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भारत और नेपाल के बीच 1950 में हुई पीस एंड फ्रेंडशिप संधि का नेपाल के प्रधानमन्त्री औली ने हमेशा विरोध किया है | उनका कहना है कि यह संधि नेपाल के पक्ष में नहीं है और वे संधि खत्म करने की भी मांग करते हैं |
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इसके बाद भारत ने 1989 -90 में नाकाबंदी की थी क्योंकि भारत ने नेपाल के अलग ट्रेड एंड ट्रांजिट डील के प्रस्ताव का विरोध किया था | इसके अलावा नेपाल ने चीन से एंटी एयरक्राफ्ट गन्स भी खरीदने का फैंसला किया था जिसका भारत ने विरोध किया था |
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नेपाल ने एक बार भारत से आने वाले प्रवासी मजदूरों के लिए वर्क परमिट देने का भी प्रस्ताव भी रिश्तों में दरार आने की एक वजह रही थी | India Nepal Relation dispute
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नेपाल में 2015 में नया संविधान लागु हुआ जिसमे नेपाल के हिन्दू बहुल होते हुए भी नेपाल को धर्मनिरपेक्ष देश घोषित किया गया था और देश को 7 राज्यों में बाँट दिया गया | नेपाल के राजनितिक दलों और वहाँ की जनता ने इसका बहुत विरोध किया था जिसके कारण भारत ने नेपाल को संविधान लागु करने से पहले सभी दलों और लोगों की राये जान लेने को कहा जो नेपाल को रास नहीं आया|
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संविधान लागु होने के कारण मदिसी लोगों ने इसका विरोध किया और अपने हितों की भी बात की तथा एक हिंसक आन्दोलन शुरू हुआ जिसके कारण भारत से नेपाल को जानें वाली महत्वपूर्ण चीजों की आपूर्ति बंद हो गई थी | नेपाल ने आरोप लगाया कि भारत ने आपूर्ति बंद की है लेकिन वास्तव में दंगों के डर की वजह से भारत के ट्रक नेपाल में नहीं जा सके |
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2018 में नेपाल ने भारत में होने वाले BIMSTEC के पहले सैनिक युद्ध अभ्यास में हिस्सा लेने से मना कर दिया था | ये फैंसला तब लिया गया था जब नेपाल की सेना भारत में जाने के लिए तैयार थी लेकिन सिर्फ एक दिन पहले ही उन्हें नेपाल सरकार द्वारा रोक लिया गया लेकिन उसी दौरान नेपाल चीन के बीच 12 दिनों का सैनिक युद्ध अभ्यास आयोजित किया गया था | नेपाल सरकार ने ये निर्णय नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के नेताओं के दबाव में आकर लिया था |
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नेपाल का झुकाव चीन की तरफ अधिक है इसका एक कारण यह भी है कि नेपाल के कुल विदेशी निवेश का 90 प्रतिशत हिस्सा चीन का है| इसके आलावा नेपाल को कई चीनी बन्दरगाहों का उपयोग करने की भी अनुमति मिल गई है लेकिन चीन जैसा देश यह सब केवल अपने हित के लिए ही कर रहा है और नेपाल को इसका परिणाम भुगतना पड़ेगा | इससे यह अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि नेपाल पर चीन का कितना अधिक प्रभाव है | India Nepal Relation dispute
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भारत ने 6 महीने पहले एक नक्शा जारी किया था जिसमें लिपुलेख और कालापानी क्षेत्रों को भारत ने अपना हिस्सा माना है | इसके बाद भारत ने उत्तराखंड के धारचूला से लिपुलेज तक की सड़क का भी उद्घाटन किया जिसका नेपाल ने विरोध किया | इसके बाद नेपाल ने अपना नया नक्शा ज़ारी कर लिपुलेख, कालापानी और लिमपियाधुरा को अपना हिस्सा बताया जिसका भारत ने विरोध भी जताया और ये आपसी तनाव का कारण बन गया |
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सीमा विवाद के बीच नेपाल ने काठमांडू और कालापानी के बीच सड़क बनाने के लिए सर्वे की पहल शुरू कर दी है। नेपाल ने सर्वे के लिए पश्चिम नेपाल के घांटीबगर में शुक्रवार को एक टीम भेज दी है | इसके अलावा सड़क निर्माण का कार्य सेना की तैनाती के बीच किया जायेगा | India Nepal Relation dispute
इन सब बातों को देखते हुए साफ़ पता चलता है कि नेपाल सरकार चीन का हर तरफ से साथ दे रही है | इसका प्रमुख कारण नेपाल में कम्युनिस्ट सरकार का होना है और चीन भी कम्युनिस्ट देश है जिसकी वजह से नेपाल भारत से सम्बन्ध बिगाड़ रह है |
Source : AmarUjala