How Godavari originated : महर्षि गौतम ब्रह्मगिरि के आश्रम में रहते थे। उन दिनों कम वर्षा हुई और उनके बिना चार ओर अकाल पड़ा था। उसी समय मुनीश्वर श्री वशिष्ठ जी कुछ मुनियों के साथ महर्षि गौतम के आश्रम में पहुंचे। महर्षि ने अन्न दान करके उनके प्राणों की रक्षा की ।
वे प्रतिदिन प्रातः अन्न के बीज बो देते | तप के प्रभाव से संध्या के पूर्व ही बीज बढ़कर फल दे देते। वही ऋषियों के आहार में काम आता था | 12 वर्ष के बाद फिर से वर्षा हुई। उसी समय कैलाश पर्वत पर महासती श्री पार्वती ने शिव शंकर जी से कहा, आप गंगा जी को सिर पर और मुझे अपने अंग में रखकर मेरा अपमान करते हैं। लेकिन शंकर जी ने उनकी बात पर ध्यान नहीं दिया तो पार्वती ने अपनी व्यथा श्री गणेश जी को बताई | माता को प्रसन्न करने के लिए गणेश जी ने योजना बनाई और वह कार्तिकेय के साथ ब्राह्मण के वेश में ब्रम्हगिरी पहुंचे। How Godavari originated
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वहां ऋषिओं से कहा कि अब अकाल समाप्त हो गया है। आपका यहां अधिक ठहराना उचित नहीं है। ब्राह्मण की बात सुनकर ऋषि लौटने लगे। लेकिन महर्षि गौतम ने उन्हें रोकने का आग्रह किया तो फिर रुक गए। अब गणेश जी ने कार्तिकेय को गाय का रूप धारण करके ऋषि गौतम के खेत में मूर्छित होने को कहा। कार्तिकेय ने ऐसा ही किया। वह मूर्छित होकर खेत में लेट गये और सभी ऋषि नाराज होकर लौटने लगे। उन्होंने कहा, कि गौ हत्या से यह पापस्थली हो गई है । इस स्थान को पवित्र करने के लिए गंगाजल को यहाँ लाये तभी यहां कुछ हो सकता है। महर्षि गौतम ने तप करके शंकर जी को प्रसन्न किया। शंकर जी ने उन्हें गंगा देने का वचन दिया और कहा, यह गंगा गोमती और गोदावरी के नाम से प्रसिद्ध होगी तथा अत्यंत पुण्य देने वाली होगी। गंगा को लेकर प्रसन्न चित्त महर्षि गौतम ब्राह्मण लौटे इस तरह गोदावरी की उत्पत्ति हुई। How Godavari originated,