Hitler salute dhyanchand – आज हम बात कर रहे है उस महान खिलाडी की जिसने हिटलर के सम्मान को ठुकरा दिया था.
हॉकी के जादूगर कहे जाने वाले मेजर ध्यानचंद जितना अपने खेल के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध रहे
उतना ही हिटलर की पेशकश ठुकराने की वजह से भी. Hitler salute dhyanchand
ध्यानचंद की ख्याति का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जाता है कि बर्लिन ओलंपिक के 36 वर्षों बाद
जब उनके बेटे अशोक कुमार हॉकी खेलने जर्मनी पहुंचे तो उनसे मिलने एक व्यक्ति स्ट्रेचर पर पहुंचा था

कौन थे ध्यानचंद
दद्दा मेजर ध्यानचंद भारतीओ के लिए गर्व और गौरव का वो नाम हैं जिनकी हॉकी की हुंकार सात समंदर पार तक गूंजी है,
जिनकी हॉकी की ताकत पर भारत नाज करता है, जिनकी कलाई की करामात ने गोलकीपरों को छकाया है।
हिटलर भी था दीवाना
हिटलरहॉकी के इस महान जादूगर को हिंदुस्तान ही नहीं जर्मनी भी सलाम करता है।
आपको जानकर हैरानी होगी कि एडोल्फ हिटलर ने भी मेजर ध्यानचंद की देशभक्ति को सैल्यूट किया था।
ककहानी हिटलर और ध्यांचंद्की
1936 में जर्मनी में ओलंपिक खेल के मौके पर 15 अगस्त के दिन फाइनल में भारत और जर्मनी का मुकाबला होना था
- इस मैच को देखने जर्मन चांसलर एडोल्फ हिटलर को भी आना था। Hitler salute dhyanchand
- फाइनल के मौके पर स्टेडियम करीब 40 हजार दर्शकों से खचाखच भरा था।
- फाइनल मैच में भारत ने ध्यानचंद के जादू से जर्मनी को 8-1 से हराया और स्वर्ण खिताब जीता।
- ध्यानचंद ने फाइनल मैच में 6 गोल दागे जिसे देखकर हिटलर भी दंग रह गया।
- पुरस्कार समारोह के उपरांत जर्मन चांसलर एडोल्फ हिटलर ने मेजर ध्यानचंद की तारीफ की थी.
- हिटलर ने उन्हें जर्मनी में रहने और फौज में भर्ती होने का ऑफर किया। Hitler salute dhyanchand
हिटलर की बात सुनकर दादा ध्यानचंद मंद मुस्काए और आंख में आंख डालकर कहा कि भारत देश बिकाऊ नहीं है.
मैं अपने देश के लिए ही खेलूंगा। Hitler salute dhyanchand
हिटलर का सलाम
सभी को डर था कि ध्यानचंद ने अगर हिटलर का ऑफर ठुकराया तो कहीं हिटलर नाराज न हो जाए,
मगर एडोल्फ हिटलर ने ये बात सुनकर दादा ध्यानचंद को सैल्यूट किया और कहा
कि जर्मनी आपकी राष्ट्रभक्ति और आपके देश को सलाम करता है। Hitler salute dhyanchand