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काशी का इतिहास भाग-2 : मन्दिर और उनका इतिहासिक महत्व

kashi  : काशी के इतिहास की इस श्रखला का यह दूसरा भाग है जिसमें काशी के मन्दिरों के बारे में बताया गया है | आइये जानतें है काशी के मन्दिरों के बारे में  : kashi

विश्वनाथ मन्दिर 

इतिहासकारों का कहना है कि इसका निर्माण ईसा से 1980 वर्ष पहले किया गया गया था | मन्दिर को विश्वेश्वर भी कहा जाता है | पिछले 2000 वर्षों में इसकी कई बार स्थापना हुई आज भी शिवलिंग वही है | 1194 में शहाबुद्दीन गौरी ने मन्दिर को तोड़ा तथा वहाँ लुट पाट भी की लेकिन अल्तमश के शासन कल में गुजरात के सेठ वस्तुपाल ने फिर से इसकी स्थापना की | इसके बाद 1494 में सिकन्दर लोदी ने इसे तोड़ा फिर उसके बाद 1531 में नीलकंठी टीकाकार नारायण भट्ट ने ज्ञानवापी पर मन्दिर बनवाकर वहीं विश्वेश्वर की स्थापना की | उसके बाद 1696 को औरंगजेब ने इस पर हमला किया और मन्दिर को तोड़ा गया लेकिन वहाँ के पंडितों ने शिवलिंग को कुएं में दाल दिया |

कहा जाता है कि विश्वनाथ ब्रह्मचारी ने स्वप्न में देखा कि विश्वेश्वर नर्मदा में है तथा उसने अहिल्याबाई के सामने ही कूप में छलांग लगाकर शिवलिंग को निकाला और 1786 में फिर से इसकी स्थापना की गई | 1839 को पंजाब के महाराजा रणजीत सिंह ने 22.5 मन सोना भेजा था | इसके आलावा नेपाल के राजा चन्द्रशेखर जंगबहादुर ने अष्टधातु का ब्रहदागर घंटा चढ़ाया | काशीवासियो का विश्वास है कि उनके कुल की रक्षा स्वयं भगवान विश्वनाथ करते है kashi

अन्नपूर्णा  मन्दिर

विश्वनाथ मन्दिर के पास ही अन्नपूर्णा का मन्दिर है | इसकी पूजा से कभी भी अन्न की कमी नहीं  होती | इस मन्दिर की उपरी मंजिल में अन्नपूर्णा , विश्वनाथ , लक्ष्मी और पृथ्वी माता की सोने की मूर्तियाँ स्थापित है | निचली मंजिल में माता की रजतमूर्ति है और इसकी पूजा वर्ष भर की जाती  है लेकिन ऊपर की मूर्तियों की पूजा अन्नकूट के अवसर पर ही की जाती है |

राम मन्दिर

यह मन्दिर अन्नपूर्णा माता के पास ही है | इसे पुरुषोतम दास खत्री ने बनवाया था | इस मन्दिर में माँ काली , जगन्ननाथ , विष्णु , लक्ष्मी रामपंचायत , राधाकृष्ण , शिव पार्वती , तथा नरसिंह भगवान की मूर्तियाँ स्थापित है |

सत्यनारायण मन्दिर 

इस मन्दिर का निर्माण रुक्मनानन्द ने करवाया था | मन्दिर में सत्यनारायण जी की सोने की मूर्ति है | यहाँ श्रावण मास में झांकी होती है |

आदिविश्वेश्वर मन्दिर 

इसका निर्माण जयपुर नरेश ने करवाया था और ये मन्दिर सत्यनारायण मन्दिर के पीछे ही है |

Read this : काशी का इतिहास(भाग 1) : क्यों भगवान शिव ने छोड़ी थी काशी

मृत्युंजय मन्दिर 

यह मन्दिर दारानगर मुहल्ले में स्थित है | लोगों की मान्यता है कि इनके दर्शन से लोग रोगमुक्त हो जातें है |

कालभैरव

इन्हें काशी का कौतवाल कहतें है | इसका स्थान पहले औकारेश्वर के पश्चमी कपालमोचक सरोवर के तट पर था | बाद में बाजीराव पेशवे द्वारा इनकी भव्य मूर्ति खड़ी की गई थी | kashi

पंचक्रोशी मन्दिर

इसका निर्माण 1951 में गण्डा जी खत्री ने किया था | मन्दिर में काशी के समस्त देवताओं की मूर्तियाँ स्थापित हैं | मन्दिर के मध्य में स्फटिक के एकादश शिवलिंग स्थापित है |

केदार जी 

यह पूर्व के केदार घाट पर स्थित है और इसमें वृहद शिवलिंग स्थापित है |

संकटमोचन

बनारस हिन्दूविश्वविद्यालय के निकट गोस्वामी तुलसीदास द्वारा यह मन्दिर 20 वीं शताब्दी में बनवाया गया था |

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