मंदिर निर्माण में गर्भ गृह का विज्ञान व रहस्य- Hindu temple construction secret
‘विश्वकर्मा वास्तु शास्त्र’ के अनुसार मंदिर का प्रत्येक हिस्सा मानव तन के विभिन्न अंगों के समान होता है। चित्र देखकर स्पष्टतः ज्ञात होता है कि मंदिर का प्रारूप मानव शरीर से कितना मेल खाता है। Hindu temple construction secret
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- ‘गर्भगृह’ मंदिर का सबसे महत्त्वपूर्ण व पवित्र स्थान होता है।
- मंदिर के इसी क्षेत्र में भगवान की मूर्ति या चित्र की स्थापना की जाती है, क्योंकि यह भगवान का निवास स्थान माना गया है।
- मंदिर को मनुष्य देह से जोड़ा गया है। गर्भगृह को मस्तक के भृकुटि-स्थान से जोड़ा जाता है।
- मानव देह के मस्तक के बीचों बीच जिस स्थान पर तिलक या बिंदी लगाई जाती है, जिसे आज्ञा चक्र भी कहा जाता है।
- इसी स्थान के भीतर ईश्वर सूक्ष्म रूप में निवास करते है,
- परब्रह्म परमात्मा का अंश आत्मा का निवास स्थान हमारे शरीर के ऊपरी भाग के केंद्र पर होता है।
- इसी संदर्भ में गीता में कहा गया- ईश्वरः सर्वभूतानां हृद्देशेऽर्जुन तिष्ठति।
‘गर्भगृह’ मंदिर का सबसे महत्त्वपूर्ण व पवित्र स्थान होता है। मंदिर के इसी क्षेत्र में भगवान की मूर्ति या चित्र की स्थापना की जाती है, क्योंकि यह भगवान का निवास स्थान माना गया है। मंदिर को मनुष्य देह से जोड़ा गया है। गर्भगृह को मस्तक के भृकुटि-स्थान से जोड़ा जाता है। मानव देह के मस्तक के बीचों बीच जिस स्थान पर तिलक या बिंदी लगाई जाती है, जिसे आज्ञा चक्र भी कहा जाता है। इसी स्थान के भीतर ईश्वर सूक्ष्म रूप में निवास करते है, परब्रह्म परमात्मा का अंश आत्मा का निवास स्थान हमारे शरीर के ऊपरी भाग के केंद्र पर होता है। इसी संदर्भ में गीता में कहा गया- ईश्वरः सर्वभूतानां हृद्देशेऽर्जुन तिष्ठति।
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