बीजेपी सांसद चेतन चौहान ने 1984 में हुए दंगो में तीन भारतीय क्रिकेट खिलाड़िओं कि जान बचाई थी | हालाँकि चेतन चौहान स्वयं एक आल राउंडर के तौर पे रंजी के साथ इंटरनेशनल क्रिकेट खेल चुके हैं Hindu Save Sikhs 1984
1984 में इंद्रा गाँधी कि हत्या के बाद अचानक ढंगा भीड़ गया था , सिखों का मारने का फरमान जारी हो गया था | सिखों को चुन चुन कर मारा जा रहा था | इन दंगो में ३००० सिखों को दिल्ली में मार दिया गया | इसी बीच एक घटना हुयी जो शायद न किसी के सामने आई या भुला दी गई | Hindu Save Sikhs 1984
क्या है कहानी ?
- ये कहानी उसी सिख दंगों के दौरान की है, जब नवजोत सिंह सिद्धू, राजिंदर सिंह और योगराज सिंह जैसे क्रिकेटर ट्रेन से जा रहे थे।
- ये तीनों ही सिख हैं। योगराज सिंह लोकप्रिय ऑलराउंडर युवराज सिंह के पिता हैं, नवजोत सिंह सिद्धू को कौन नहीं जनता |
- उस समय दिलीप ट्रॉफी का सेमीफइनल पुणे में हुआ था। इसके बाद सेंट्रल और नॉर्थ जोन के खिलाड़ी झेलम एक्सप्रेस से लौट रहे थे।
- मैच 30 अक्टूबर को ख़त्म हुआ और अगले दिन जब वो लोग ट्रेन के लिए तैयार हो रहे थे तो उन्हें सुबह इंदिरा गाँधी की हत्या समाचार प्राप्त हुआ।
- हरियाणा के पूर्व ऑफ स्पिनर सरकार तलवार ने इस घटना के सम्बन्ध में ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ के प्रत्यूष राज से बातचीत की, जिसमें उन्होंने बताया कि टीम मैनेजर प्रेम भाटिया ने उन सबके लिए झेलम एक्सप्रेस के फर्स्ट क्लास की टिकट कराई थी।
- उन्होंने कहा कि वो डरावनी यात्रा थी, जिसमें उन्हें दिल्ली पहुँचने में 4 दिन लग गए थे।
- एक स्टेशन पर जैसे ही ट्रेन रुकी, 40-50 लोग सिखों को ढूँढ़ते हुए ट्रेन में घुस गए। Hindu Save Sikhs 1984
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TOI से वार्तालाप
- नवजोत सिंह सिद्धू, राजिंदर घई और योगराज सिंह- उस समय ये तीन सिख क्रिकेटर उन लोगों के साथ ही थे।
- सरकार तलवार ने TOI को बताया कि चेतन चौहान ने आगे बढ़ कर दंगाई भीड़ के साथ बहस की और उन्हें समझाया।
- जब उन्हें पता चला कि ये भारतीय क्रिकेटरों की टीम है तो दंगाई वहाँ से चले गए।
- इस दौरान यशपाल राणा भी उनके साथ थे, जो आगे आए। सभी खिलाड़ी काफी डरे हुए थे।
सिधु डर कर नीचे छिपे
नवजोत सिंह सिद्धू और राजिंदर सिंह तो ट्रेन कम्पार्टमेंट की सबसे निचली सीट के नीचे बैग के पीछे छिपे हुए थे। योगराज सिंह ने सिद्धू से कहा कि वो अपने बाल कटवा लें, जिससे दंगाई भीड़ उन्हें सिख न समझे। योगराज सिंह बताते हैं कि सिद्धू ने तब ये कह कर बाल कटवाने से इनकार कर दिया था कि वो एक सरदार पैदा हुए हैं और सरदार ही मरेंगे। योगराज ने उस घटना की तुलना ‘बर्निंग ट्रेन’ से करते हुए बताया कि चेतन चौहान और यशपाल ने दंगाइयों से बहस की थी। Hindu Save Sikhs 1984
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चेतन चौहान कि बहस
एक दंगाई ने चेतन चौहान पर चिल्लाते हुए कहा कि वो लोग यहाँ सिर्फ सरदारों को खोजने के लिए आए हैं और उन्हें कुछ भी नहीं किया जाएगा।
इस पर चेतन चौहान ने पलट कर जवाब देते हुए कहा था कि ये सभी उनके भाई हैं और कोई भी दंगाई उन्हें छू भी नहीं सकता।
योगराज सिंह ने कहा कि चेतन चौहान जिस तरह से दंगाइयों से निपटे थे, वो काबिले तारीफ था। दूसरे कम्पार्टमेंट में रहे गुरशरण सिंह को भी ये घटना याद है। Hindu Save Sikhs 1984
उनका तो यहाँ तक कहना है कि अगर उस दिन चेतन चौहान नहीं होते तो उनमें से एक भी सरदार शायद ज़िंदा नहीं बचता।
उन्होंने बताया कि वो और उत्तर प्रदेश के लेग स्पिनर राजिंदर हंस दूसरी बोगी में थे और उन्हें जब इस घटना के बारे में पता चला तो सभी काफी डर गए थे।
इसके बाद चेतन चौहान उनकी बोगी में आए और उन्होंने खिलाड़ियों को आश्वासन दिया कि वो सब सुरक्षित हैं और उन लोगों को दंगाई भीड़ कुछ नहीं करेगी।
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