Gurukul system of india – आपने अनेक बार भारत की प्राचीन गुरुकुल पद्धति के विषय में सुना होगा ।
जब तक भारत में गुरुकुल केन्द्रित स्वकीय शिक्षा पद्धति थी, तब तक भारत विश्व-गुरु बना रहा
क्योंकि छात्रों और शिक्षकों – दोनों में कर्तव्यबोध था,
गुरुकुल में पारस्परिक आत्मीयता, श्रद्धा, विश्वास और स्नेह का वातावरण था और
सांसारिक विषयों से निवृत्त होकर तपश्चर्या के साथ पठन-पाठन होता था |
गुरुकुल में शिक्षण से अधिक संस्कार पर बल दिया जाता था | Gurukul system of india
जब अंग्रेज भारत आए तो देश में शिक्षा का एक सुगठित ढांचा हुआ करता था। बच्चे गुरुकुल में पढाई करते थे।
ब्रिटिशों ने इस प्राचीन शिक्षा व्यवथा को ध्वस्त कर दिया। इसके बदले में उन्होंने व्यावसायिक स्कूलों को बढ़ावा दिया।
ब्रिटिश शासन के समय भारत के सात लाख से भी ज्यादा गांवों में एक लाख से कम स्कुल बचे थे।
अंग्रेजों ने देश की प्राचीन शिक्षा व्यवस्था का आधा हिस्सा तो आते ही तबाह कर दिया था।
इसके बाद भारत में शिक्षा आमजन के लिए आसानी से सुलभ नहीं रही।
इसका एक कारन यह भी है की हमने मैकाले की शिक्षा पद्धति को उच्च माना और गुरुकुल को निम्न स्तर पर समझ लिया ।
हम यह भूल गये गुरूकुल शिक्षा पद्धति लाखों वर्षों से है। Gurukul system of india
जब से मैकाले ने अपनी दासोत्पादिनी शिक्षा प्रणाली आरम्भ की, विद्यालयों में दासों का निर्माण होने लगा |
छात्रो और शिक्षकों – दोनों का चारित्रिक पतन हो गया, कर्तव्यबोध नहीं रहा, छात्र-शिक्षक सम्बन्ध समाप्त हो गया |
विश्व गुरु से पतित होकर हम विश्व-गोरु (cattle for the world – जानवर – दास) बन गए ! Gurukul system of india
अगर अतीत की प्रतिष्ठा फिर से हासिल करनी है तो पुनः गुरुकुल प्रणाली से शिक्षण आरंभ करना होगा !
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