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अगर गुमनामी बाबा नहीं थे नेता जी तो क्यों गोलवलकर जी लिखते थे उनको पत्र

golwalkar’s letter to subash chander bose : वास्तव में भगवन दी एक ऐसे साधु का नाम था

जिनका अस्तित्व उनके शिष्य तक नहीं साबित कर पाए थे | वे बस एक पर्दे के पीछे रहकर ही बात करते थे |

यह साधु अपने जीवन में कई बार किराये के अनेकों घर बदल चुके थे| 1950 में दशक में भगवन जी उत्तर प्रदेश

में अयोध्या और फैजाबाद जैसी कई जगहों पर रहे थे | लेकिन 1980 के दशक  में उन्हें गुमनामी बाबा के नाम

से जाना जाने लगा था | golwalkar’s letter to subash chander bose

आरएसएस के पूर्व संघचालक गोलवलकर जी का पत्र golwalkar’s letter to subash chander bose

  • यह पत्र भी अन्य वस्तुओं की तरह उनके राम भवन से मिला था |
  • गोलवलकर जी भगवन जी को बहुत सम्मान देते थे |
  • गोलवलकर जी ने उन्हें एक पत्र लिखा था जो राम भवन से मिला था |
  • यह पत्र सेवा में शतश प्रणाम से शुरू होता था | golwalkar’s letter to subash chander bose
  • इसमें भगवन जी से कई आदेश लिए गये थे जो गोलवलकर जी को मान्य थे |
  • इस पत्र में आरएसएस के संस्थापक डॉ हेडगेवार जी का भी नाम था |
  • इस पत्र में भगवन जी ने गोलवलकर जी के बारे में ज्योतिष गणनाए नही की थी |

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वास्तव में भगवन जी को मिलने वाले लोग उन्हें नेता जी ही मानते थे | एक अन्य पत्र भी मिला था

जो पश्चिम बंगाल के पुतव मुख्यमंत्री प्रफुल्ल घोष के द्वारा लिखा हुआ था | इसमें वे इस बात का दुःख

प्रगट करते है कि यदि वेलिंग्टन स्क्वायर की घटनाएँ हरिपुरा सेशन के चलते न हुई होती तो उनका

जीवन शायद अलह ही होता | इसका तात्पर्य यह था कि यह हरिपुरा का कांग्रेस सेशन ही था जिसमे नेता

जी को  प्रेसिडेंट चुने गये थे और वेलिंग्टन सेशन में उनसे यह पद छीन लिया   गया था | इससे यह

स्पष्ट होता है कि क्या पता भगवन जी ही नेता जी हो सकते थे | golwalkar’s letter to subash chander

Source : नेता जी रहस्य गाथा , लेखक: अनुज धर

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