Genocide of Brahmins after gandhi death : जनवरी 30, 1948 को नाथूराम गोडसे द्वारा महात्मा गाँधी को गोली मारते ही उनकी जाति के लोगों पर महाराष्ट्र के कुछ इलाकों में भयानक हमले कर दिए गए। इस कत्लेआम का मुख्य मकसद महात्मा गाँधी की मौत का बदला उनकी (गोडसे की) जाति के चितपावन ब्राह्मणों को मौत के घाट उतारना था।

यह भी उल्लेखनीय है कि महादेव रानाडे, गोपाल कृष्ण गोखले, लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक और वीर सावरकर जैसे नाम इसी चितपावन ब्राह्मण जाति से सम्बन्धित हैं। महिलाओं और बच्चों तक को शिकार बनाया गया। इस कत्लेआम में 20 हजार के करीब मकान और दुकानें जला दी गईं। नरसंहार में वीर सावरकर के भाई नारायण दामोदर सावरकर भी मारे गए थे।
ब्राह्मणों का यह भीषण नरसंहार इसलिए भी इतिहास के सबसे खतरनाक कत्लेआमों में से एक है क्योंकि यह एकदम सुनियोजित तरीकों से कर बिना किसी साक्ष्य के चुपचाप दफन भी कर दिया गया। यह नरसंहार महाराष्ट्र के कॉन्ग्रेसी नेताओं की देखरेख में हुआ था, इसमें भी कोई संदेह नहीं था।
तकरीबन 1000 से 5000 चितपावन ब्राह्मणों को निर्ममता से रात के अंधेरों में मौत के घाट उतार दिया गया। यह भी दावा किया जाता है कि मारे गए लोगों की संख्या कुछ स्थानों पर 8000 से भी ज्यादा थी।
कोनराड एल्स्ट (Koenraad Elst) अपने अध्ययन Why I Killed the Mahatma: Uncovering Godse’s Defence में लिखते हैं कि गाँधी की हत्या का बदला लेने का यह रक्तपात किस प्रकार शुरू हुआ।
कोनराड एल्स्ट ने अपनी पुस्तक में लिखा है कि गाँधी के समर्थकों ने हिंदू महासभा, आरएसएस और सबसे बढ़कर, चितपावन ब्राह्मणों को मारा। हत्या के तुरंत बाद न्यूयॉर्क टाइम्स के एक लेख में बंबई (मुंबई) नरसंहार में पीड़ितों की संख्या दी गई थी। बताया गया कि बच्चों को अनाथ करके सड़क पर फेंक दिया गया। कई लोगों को रास्तों में, होटलों में उनका नाम पूछकर मार दिया गया। कई चितपावन परिवारों के घरों के दरवाजे बाहर से बंद करके आग के हवाले कर दिया गया। Genocide of Brahmins after gandhi death
एल्स्ट का मानना था कि मौत का आँकड़ा कई सौ से अधिक हो सकती थी, लेकिन दुख की बात है कि इस पर कोई जाँच ही नहीं की गई। उन्होंने कहा कि इसे जातिवादी रंग देकर भुला दिया गया।
चितपावन ब्राह्मणों के नरसंहार की तुलना 1984 में हुए सिख नरसंहार से करते हुए इसे उस से भी कहीं वीभत्स बताया। उन्होंने कहा कि चितपावन ब्राह्मणों की हत्याओं पर किसी ने भी गौर नहीं किया, क्योंकि वे गोडसे के जाति के लोग थे। Genocide of Brahmins after gandhi death
Source : Website HinduGenocide Writer Arti Aggarwal Link