Dismantling Hinduism

Dismantling Hinduism – डिसमेंटलिंग ग्लोबल हिंदुत्व

Dismantling Hinduism : जब मनुष्य का विनाश उसके सम्मुख होता है तो वह संपूर्ण रूप से विवेकहीन हो जाता है।और जब एक बुद्धिमान व्यक्ति विवेक हीन होता है तो वह अपने साथ-साथ संपूर्ण समाज या राष्ट्र को ले डूबता है। 10 सितंबर से 13 सितंबर 2021, कहने को यह कैलेंडर के सामान्य दिनों की भांति ही लग सकते हैं परंतु यह चार दिन, इतिहास में विश्व विनाशक मानसिकता को प्रचारित करने के लिए सदैव के लिए अंकित हो जाएंगे। कहने को शिक्षण संस्थानों में शिक्षा प्रदान की जाती है परंतु विश्व यह जान चुका है कि अब शिक्षण संस्थान शिक्षा छोड़कर बाकी सब करने को तैयार हो गए हैं। यह बात हो रही है डिस्मेंटलिंग ग्लोबल हिंदुत्व कॉन्फ्रेंस की, 45 से अधिक वैश्विक डिपार्टमेंट्स और 40 से अधिक वैश्विक विश्वविद्यालय जिस कॉन्फ्रेंस को को-स्पॉन्सर कर रहे हैं, और पूरे विश्व से कुप्रसिद्ध नाक मुंह से कोड ने वाले इंटेलेक्चुअल्स को इस कॉन्फ्रेंस में बतौर स्पीकर स्थान दिया जा रहा है।

 कॉन्फ्रेंस का उद्देश्य:

 जैसे ही इस कांफ्रेंस के पोस्टर बाहर आए न केवल भारत अपितु विश्व भर के सभी हिंदूवादी विचारधाराओं में और संगठनों में हाहाकार मच गया। खास तो खास आम से आम व्यक्ति भी अपनी बौखलाहट सोशल मीडिया के माध्यम से अथवा जिन भी माध्यमों से प्रकट कर सकते थे करने लगे। इस कांफ्रेंस की ऑर्गेनाइजिंग कमेटी जो कि अमेरिका में एवं विश्व के भिन्न-भिन्न स्थानों पर बैठकर आजीवन भारत के और हिंदुओं के विरोध षड्यंत्र करती आई है | जब उन तक यह बात पहुंची तो उन्होंने जल्दी-जल्दी में लीपापोती करने के लिए अनेकों अनेक बयान नीली चिड़िया के माध्यम से लोगों तक प्रसारित करने आरंभ कर दिए, सभी कुप्रसिद्ध स्पीकरों ने, एक साथ समावेशित होकर यह बयान दिया कि इस कांफ्रेंस के माध्यम से हम केवल नकारात्मक रूप से चल रहे हिंदू वाद को और पॉलिटिक्स में हिंदुत्व के बढ़ते प्रभाव को जो विश्व के लिए हानिकारक है और भारत के लोकतंत्र के लिए अति हानिकारक है उसके ऊपर चर्चा करेंगे। वैसे तो विश्व भर में कॉमेडी शोस का अंबार लगा हुआ है परंतु यह स्टेटमेंट स्वयं में भी एक बहुत बड़ा कॉमेडी स्टंट माना जा सकता है। ऑर्गेनाइजिंग कमिटी के अनुसार उनका उद्देश्य केवल हिंदुओं के और भारत के आम जनता के विकास का है और आज की वर्तमान सरकार और कुछ कट्टरवादी हिंदू लोग जो कि भारत के सेकुलर छवि को खराब कर रहे हैं और यहां की शांति को भंग करने का प्रयत्न कर रहे हैं उनके असल रूप को जग जाहिर करना है!

Dismantling Hinduism conference

यह कॉन्फ्रेंस ऐसा कॉन्फ्रेंस है जहां स्टैनफोर्ड से लेकर न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी तक अपने हाथ और बाहें फैलाकर इसके समर्थन में दिखी हैं। यह वही यूनिवर्सिटी है जहां अक्सर वामपंथी आवाज में भारत के विरुद्ध बुलंद होती आई है और दुर्भाग्य से भारत के कई अति बुद्धिमान परंतु कौमी विचारधारा रखने वाले यहां पढ़ाते भी हैं।
दुर्भाग्य यह भी देखिए इस कॉन्फ्रेंस में अधिक से अधिक स्पीकर्स के रूप में वक्तव्य रखने वाले भारतीय ही थे जो अपने नाम के आगे ब्लू टिक लगाकर घूमते रहते हैं और जहां जाते हैं भारत विरोध और हिंदू विरोधी विचारधारा रखते हैं। विवेक हीनता की पराकाष्ठा यह भी है कि इनके अलग-अलग बयान एक के पश्चात् दूसरे आते रहे हैं, यह भारतीय मूल की एक स्पीकर ने अपने ट्विटर के माध्यम से यह तक बता दिया कि ” उनको हिंदू संगठनों की ओर से जान से मारने की धमकियां मिल रही है एवं उनके बच्चे को मारने की धमकियां तक मिल रही है! “
वहीं दूसरी ओर डिस्मेंटलिंग ग्लोबल हिंदुत्व के आधिकारिक ट्विटर पेज के माध्यम से यह बयान जारी किया गया कि “इस कॉन्फ्रेंस को होने से रोकने के लिए हिंदू संगठन सभी अन्य को स्पांसर और 40 से अधिक अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय के विभिन्न डिपार्टमेंट के ऊपर दबाव बना रहे हैं परंतु, यह कट्टरवाद और नकारात्मक हिंदूवाद हमें इस कॉन्फ्रेंस को करने से नहीं रोक पाएगा और हमें कभी नहीं हरा पाएगा! “

हिंदुओं की विरोधी प्रतिकिरया ?

हिंदूवादी संगठनों को जैसे ही इस बात की जानकारी प्राप्त हुई उन्होंने न केवल वैश्विक स्तर पर इसका विरोध आरंभ किया अपितु इसके प्रति एक्शन लेते हुए अमेरिका की विश्व हिंदू परिषद शाखा ने ऑर्गेनाइजर्स को पत्र भी लिखा। भारत की ओर विश्व भर की हिंदू जनता ने सोशल मीडिया के माध्यम से इसका न केवल विरोध किया अपितु 13 लाख से अधिक पत्र ऑर्गेनाइजिंग कमिटी को लिख डाले।
परिणाम स्वरूप विश्व की प्रसिद्ध यूनिवर्सिटी डलहौजी यूनिवर्सिटी ने अपना नाम को स्पॉन्सर्स की सूची से वापस ले लिया और ऑर्गेनाइजर्स को यह निर्देश दिया कि उनके नाम का प्रयोग किसी भी पोस्टर में ना किया जाए। इसी का विरोध जताते हुए ओहायो स्टेट के सीनेटर नीरज एंटनी ने ट्वीट किया और इस घृणा पूर्ण कॉन्फ्रेंस की निंदा भी की है। माना जा सकता है कि हिंदुओं की ओर से ऐसी प्रतिक्रिया की आशा स्पॉन्सर्स ने स्वप्न में भी नहीं की थी। विश्व के सामने इस कांफ्रेंस का कच्चा चिट्ठा खुलने लगा है, और सभी को स्पॉन्सर्स के ऊपर विशेष दबाव बन गया है।

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