Difference between jersey and desi cow : भारत में हर हिन्दू गायें को अपनी माता तुल्य समझता है | लेकिन क्या आपको पता है कि भारत में आज भारतीय नस्ल की बहुत कम गायें बची है | अशिकांश हम सडकों पर जो गाय देखते है उनमे अधिकाशं गायें देसी नहीं होती | वह कुछ जानवरों के जिन्स को मिलाकर नस्ल बनाई गई है जिसका प्रयोग मांस के लिए होता था | आज हम आपको अपनी भारतीय देसी गायें और अन्य गायें में अंतर बतायेंगे ताकि आप सिर्फ देसी गायें का ही पालन पोषक और दूध लें | difference between jersey and desi cow
यह है कांकरेज नस्ल की देसी गाय
देसी गायें (A2) | अन्य गायें(A1) |
देसी गायें का दूध तेज़ दिमाग वाला होता है जो हमें शक्तिशाली , विषाणु रोधक बनाता है , इसके साथ ही यह जल्दी पचने वाला तथा पौष्टिक होता है | इसे A2 दूध कहतें है | इसका दूध मोटापा बडाता है और यह पीने वाले को शुगर , कैंसर जैसी बीमारियाँ लगाने में सहायक होता है | इसे A1 श्रेणी का दूध कहतें है | |
देसी गायें की चमड़ी विषाणुरहित होती है और इस पर हाथ फेरने से व्यक्ति स्वास्थ्य होता है | | इस जानवर की चमड़ी में पिस्सू , जुएँ , और चिचड़ आदि लगते है जो हमारे लिए भी हानिकारक होतें है | |
गायें केवल अपने पालने वाले को ही दूध देती है और इस गायें का बछड़ा हजारों गायों में अपनी माँ को पहचान लेता है | | इन जानवरों को प्रलोभन देकर हिंसक तरीके से दुहा जाता है और इसका बछड़ा अपनी माँ को हजारों गायें में नहीं पहचान सकता | |
गायें का घी बुरा कैलोसट्रोल कम करता है और विषाणु रोधक भी होता है | गायें की लस्सी शरीर को ठंडक देने वाली , यकृत को साफ़ करने वाली , अंतड़ियों को साफ करने वाली और दिमाग को बल देनी वाली होती है | | इसका दूध कैलोसट्रोल बढाता है और इसमें कोई औषधीय गुण नहीं होते है | इसमें इस प्रकार का कोई भी गुण नहीं होता है| |
यह है जरसी गाय
इसके अलावा देसी गायें के पीठ पर एक बड़ा गुम्बद सा बना होता है जो दूसरी गायें में नहीं होता | इसके अलावा देसी गायें का गोबर बिखरता नहीं है जब कि दूसरी गायें का गोबर बिखरता है | देसी गायें को पंखे आदि की जरूरत नहीं होती और उसकी चमड़ी साफ़ रहती है जबकि दूसरी गायें में उल्टा है | difference between jersey and desi cow
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