आप शायद यकीन नहीं करेंगे ! हुमायूँ इतिहास का सबसे डरपोक राजा हुआ। क्योंकि वो जिंदगीभर अपनी जान बचाकर इधर – उधर भागता रहा। बहादुर मुगल सेना और सरदारों का साथ होने के वावजूद अपनी अकर्मण्यता एवं भय के कारण वह 15 वर्षों तक निर्वासित ज़िन्दगी बिताने को मजबूर रहा। Coward king in indian history
जिहाद का जवाब देना वाला पहला हिन्दू योद्धा-तक्षक
अब पॉइंट वाइज इसको तार्किक रूप में समझते हैं :
- अपने भाइयों के विद्रोह/कलह के भय से उसने अपने राज्य का बंटवारा कर मुगलिया शक्ति को कमजोर किया।
- चौसा के युद्ध में शेरशाह के भय से अपनी जान बचाने के लिये। लड़ते हुए सेनानायकों को छोड़कर गंगा पार कर भाग गया।
- बिलग्राम/कन्नौज की लड़ाई में भी अपनी कायरता का परिचय देते हुए युद्ध के मैदान से भाग खड़ा हुआ।
- यहां तक कि शाही स्त्रियों के रक्षा का भी उसने तनिक ख्याल नहीं किया। उसके लिए जान बचाना ही सबसे बड़ी उपलब्धि थी।
- उसके पुनः राजा बनने (1555ई. में) के बावजूद वह अफगानों के भय से सदैव ग्रसित रहा।
- अंत में जब 1556 में उसकी मृत्यु हुई तो 13 साल के अकबर को गद्दी पर बैठाया गया,
- इस उम्मीद में की कैसा भी हो हुमायूँ से बेहतर विकल्प होगा।
- हुमायूँ ने अपने जीवन मे कुछ क्षेत्रों पर अधिकार किया था , पर वहां कर इकट्ठा करने की हिम्मत वह नहीं दिखा पाया।
कुछ महान बुद्धूजीवी इतिहासकारों ने (विशेषकर साम्यवादियों ने) हुमायूँ की महानता के जो कसीदे पढ़ें हैं
वह संभवतः कोरी बकबास है और उसपर व्यापक शोध की आवश्यकता है। Coward king in indian history
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