City of Brahmins Brahminabad : एक ऐसा शहर जो आज अपने अस्तित्व कि लड़ाई लड़ रहा है पर कभी वो शहर दुनिया के सशक्त प्रान्त ” सिंध ” कि राजधानी थी ” ब्रह्मनाबाद | यह शहर भगवन शिव के परम भगत श्री भप्पा रावल जी ने बनाया था | इस शहर में भप्पा रावल ने भगवान शिव का अदबुध मंदिर बनवाया था उस मंदिर के संचालन के लिए आज के राजस्थान से १०,००० ब्राह्मण परिवारों को शहर में बसाया गया था |
राजा दाहिर को हरा कर मोहम्मद बिन कासिम कि फ़ौज न सिंध पे कब्ज़ा कर रखा था , बाद में भप्पा रावल ने मोहम्मद बिन कासिम कि सेना को २ ही वर्ष में हरा कर अरब सेना को ईरान वापिस धकेल दिया था | हार के बाद २५ अरब मंत्री अपनी बेटिओं कि शादी भप्पा रावल के साथ करवा गये थे | भप्पा रावल ने कभी भी सिंध में अरब आक्रमण कारीओं को वापिस नहीं आने दिया और सिंध में ही उन्होंने अपना शासन शुरू किया और एक राजधानी बनाई जिस का नाम रखा ” ब्रह्मनाबाद “| City of Brahmins Brahminabad
भापा रावल के गुरु ” गुरु हरित “
भप्पा रावल जी का पालन पोषण ऋषि हरित जी ने किया था , भगवान शिव के अटूट भक्त भी इन्होने बनाया था | शस्त्र और शास्त्र इन्होने गुरु जी से ही सिखा था | ऋषि हरित जी ने ही चित्तोडगढ के राजा से मिल कर एक सेना का गठन किया था , जिस में ग्रामीण लोग भी शामिल हुए थे उनका निर्तेत्व ” भप्पा रावल ” जी ने किया था | कहते हैं जब भप्रापा वल लड़ते थे तोह इसे लगता था जेसे भगवान शिव का अवतार ” काल भैरव ” लड़ रहे हों | गुरु हरित के कहने पे इन्होने भगवान शिव का एक भव्य मंदिर बनवाया और उसके संचालन के लये चित्तोडगढ से १०,००० ब्राह्मणों को उस शहर में बसाया | City of Brahmins Brahminabad
Bappa Rawal : हिन्दू योधा जिसे भुला दिया गया
भप्पा रावल के बाद क्या हुआ ब्रह्माबाद का ?
भप्पा रावल 97 साल तक राज किया , 850 के बाद सिंध में अरबों ने दुबारा आक्रमण करके उसे अपने अधीन कर लिया , उस शहर का नाम उन्होंने ” अल-मंसूर ” रखा | फारसी में मंसूर का मतलब ही ” पुजारी ” होता है | वह शहर आज भी पाकिस्तान में अल मंसूर नाम से हैं पर अपने अस्तित्व कि लड़ाई लड़ रहा है |
पाकिस्तान में दुबारा नाम बदने का आन्दोलन
पाकिस्तान में कुछ लोग ” अल मंसूर ” को ब्रह्मनाबाद नाम दुबारा करने का आदोलन कर रहे हैं |
नोट : आपने देखा होगा जहाँ भी क्षत्रीय होंगे वहां धर्म सुरक्षित होती हैं ” राजस्थान” इसका उधारन है | इतिहास से एक सिख लेनी चाहिए जातिओं में न बंटे , हमारे बुजुर्ग जातिओं में कभी नहीं लडे | ब्राह्मण हमेशा “शिक्षक” रहा है , क्षत्रिय “रक्षक” , वैश्या ” कुबेर ” , शुद्र ” सेवक “. इन चारों से राम राज्य स्थापित हुए हैं | City of Brahmins Brahminabad
जय महाकाल
Source : Pakistan Tourism | Wikipedia