Brahmastra weapon power – भारत की संस्कृति और वैज्ञानिकता इतनी विशाल है
कि जब कभी भी इतिहास अपने को दोहराता है, तो विज्ञान और संस्कृति पर ही जाकर रूक जाता है. चाहें
फिर वह 1945 का पहला परमाणु परिक्षण क्यों ना हो या फिर आंइस्टीन की 100 साल पुरानी
गुरूत्वाकर्षण की थ्योरी क्यों ना हो. यहां पर हम बात कर रहे हैं पौराणिक वर्णित शस्त्र यानी ब्रह्मास्त्र की.
जो इतना शक्तिशाली था कि देवता और मनुष्य दोनों ही उससे कापंते थे. ऐसा कहा जाता था कि उस
शस्त्र में इतनी उर्जा निकलती थी कि वह धरती को पल भर में ही भस्म कर सकता था.
Brahmastra weapon power
ब्रह्मास्त्र एक दैवीय हथियार है, जो सदैव अचूक और इच्छित परिणाम देने वाला रहा है. रामायण से लेकर
महाभारत के काल तक ये कुछ गिने चुने योद्धाओं के पास ही था. यह देवताओं और गन्धर्वों द्वारा प्रदान
किया गया है. रामायण काल में यह विभीषण और लक्ष्मण के पास था. महाभारत में द्रोणाचार्य के पास
और अर्जुन ने इसे द्रोण से पाया था. ऐसा भी कहा गया है कि इन्द्र ने यह हथियार भेंट किया था. अपने
शत्रुओं के विनाश के लिए अर्जुन, कृष्ण, युधिष्ठिर, कर्ण, आदि ने ‘ब्रह्मास्त्र’ का प्रयोग समय-समय पर
किया था. Brahmastra weapon power

ब्रह्मास्त्र का अर्थ होता है ब्रह्म का अस्त्र, ब्रह्मास्त्र एक दिव्यास्त्र है जो परमपिता ब्रह्मा का सबसे
मुख्य अस्त्र माना जाता है. एक बार इसके चलने पर विपक्षि प्रतिद्वन्दि के साथ साथ विश्व के बहुत
बड़े भाग का विनाश हो जाता है. इस शस्त्र को शास्त्रों में सबसे विनाशक शस्त्र का दर्जा प्राप्त है.
शास्त्रों में ऐसा कहा जाता है कि जब भी दो ब्रह्मास्त्र आपस में टकराते हैं, तो तब समझना चाहिए कि
प्रलय ही होने वाली है. इससे समस्त पृथ्वी का विनाश हो जाएगा और इस प्रकार एक अन्य भूमण्डल
और समस्त जीवधारियों की रचना करनी पड़ेगी. Brahmastra weapon power
ब्रह्मास्त्र प्रचीन भारत का सबसे शक्तिशाली अस्त्र था, जो बहुत दुर्लभ और बहुत ही कम लोगों के पास
था. ऐसा कहा जाता है कि ब्रह्मास्त्र सिर्फ उन्हीं लोगों को दिया जाता था जो कठोर तप करके भगवान
को खुश रखते थे और भगवान उन्हें खुश होकर ये शस्त्र दिया करते थे. Brahmastra weapon power
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