Birth place of Prahlad : जिस जगह पर अधर्म के प्रतीक हिरण्यकश्पू के घर प्रहलाद के रूप में। ईश्वर के भक्त ने जन्म लिया और अपने पिता के अनेक अत्याचार सहे और बुरे इरादों से उसे अपनी गोद में लेकर बैठी अपनी अपनी बुआ का उद्धार किया।
उसी स्थान पर आज होली नहीं मनाई जाती। जिस जगह होली के बीज बोए गए, वहां से इस पर्व की जड़ें सूख चुकी हैं। यह अभागा स्थान है मुल्तान | जी हां, वही जिहादी आतंक की तपिश झेल रहा पाकिस्तान का शहर जो कभी हिंदू संस्कृति का केंद्र था और जहां कभी वैदिक रचनाएं होती थी। वैसे तो पूरे पाकिस्तान में हिंदू सिखों का अपने पर्व त्यौहार मनाना लगभग बंद हो चुका है। परंतु अलकायदा के गढ़ मुल्तान में तो हिंदू पर्व मनाना मौत को दावत देना है। Birth place of Prahlad
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जिस क्षेत्र में सिखों को अपनी जान बचाने के लिए जजिया देना पड़ता हो या हिंदुओं को अपनी पहचान छुपा के रहना पड़ता हो। वहां धर्म कर्म की बातें बेमानी सी लगती है। मुल्तान में ही हिरण्यकश्पू और हिरण्याक्ष पैदा हुआ और हिरण्यकश्पू के घर में प्रहलाद ने जन्म लिया था। यहीं पर भगवान विष्णु के वारहा अवतार धारण कर हिरण्याक्ष और नरसिंह अवतार लेकर हिरण्यकश्पू का उद्धार किया। वह काले पत्थर का स्तम्भ जहाँ भगवान प्रकट हुए थे आज भी मुल्तान में है।
विभाजन के बाद इस मंदिर को तोड़ दिया गया था और उसके अवशेष अभी भी मौजूद है | हिन्दुओं ने अनेकों ऐसे ही हिन्दू मन्दिरों को खो दिया है | यह स्थिति सिर्फ पाकिस्तान में ही नहीं बल्कि भारत में भी है | केवल राम जन्भूमि को वापिस लेने के लिए ही हमें कई वर्ष लग गये | लेकिन ऐसे ही कई हजार मन्दिर है जो आक्रंताओ ने अपने निचे दबाये रखें है और उनका अता पता कुछ नहीं है | ce of Prahlad