Birsa Munda : बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवम्बर 1875 को उन्निहित नामक गाँव में हुआ था | उनके पिता का नाम सुगना मुंडा और माता का नाम सुगनी मुंडा था तथा वे मुंडा जाति के थे | बिरसा मुंडा जन्म बृहसपति वार को हुआ था इस लिए उनका नाम बरसा पड़ गया | बेटे के जन्म के बाद सारा परिवार आमुगाणु नाम के गाँव में चला गया था | मुंडा जाति में एक भविष्यवाणी होनी शुरू हो गई थी कि मुंडा जाति में भगवान् का जन्म होगा और वो मधुर बांसुरी बजाएगा और उसका रंग सांवला होगा | बिरसा मुंडा को एक तो बांसुरी बजाने का शोंक था और वे चित्रकारी भी अच्छी कर लेते थे , इसी कारण से बिरसा मुंडा को उसकी जाति के लोग भगवान समझते थे | आमुगाणु में ही उनका प्रारम्भिक शिक्षा हुई थी वे जयपाल नाग नाम के व्यक्ति के पास शिक्षा के लिए जाते थे , बिरसा एक होनहार बालक थे इसलिए उन्हें जर्मन मिशनरी स्कूल में जयपाल नाग ने जाने की सलह दी थी लेकिन उस स्कूल में सिर्फ इसाई ही जा सकते थे | बिरसा को उस स्कूल में भेजने के लिए उनके माता पिता ने इसाई धर्म अपना लिया था और 1886 में बिरसा ने आगे की शिक्षा के लिए इसी स्कूल में दाखिला के लिया था| Birsa Munda
बिरसा पर बिजली का गिरना
एक बार बिरसा अपने साथियों के साथ चालकंद में अपने मित्रों के साथ जंगल से वापिस आ रहे थे लेकिन तभी अचानक से बिजली उनपर गिरी लेकिन उनका बाल भी बांका न हुआ इस घटना से बिरसा ने ख्याति प्राप्त कर ली और लोग उस पर भरोसा करने लगे Birsa Munda
इसाई पादरी को जवाब
वे खूंटी चाईनामा गाँव के एक वैष्णव भक्त के सम्पर्क में आये और उनको हिंदुत्व के प्रति लगाव बढने लगा | बिरसा ने गीता , रामायण , वेदों का अध्ययन किया और उनको अपने जीवन में उतारना शुरू कर दिया था | एक चाईबासा मिशन के पादरी नोट्रोर्ट व्याख्यान दे रहे थे तभी उन्होंने कहा कि मुंडा अपनी जमीन और जंगल को मिशन को दे दें | जब मुंडाओं ने इसका विरोध किया तो पादरी ने मुंडाओ को चोर कह दिया | उस वक्त बिरसा मुंडा की उम्र मात्र 14 वर्ष की थी और उसने खड़े होकर कहा की हम मुंडा चोर नहीं है और हम कीमत देकर ही चीज़ें लेते है उसने कहा की आप गोरी चमड़ी के हो , शासक भी गोरें है इसीलिए आप उनका पक्ष लेते हो|
उस वक्त अंग्रेजो का दमन चक्र जोरो पर था और वे देश के वनवासियो का भुत अधिक दमन कर रहे थे | वनों को सरकार के अधिकार में ले लिय गया था और वह पर वन काट कर अंगेजो का अपने लिए निर्माण कार्य किये जा रहे थे और तो और ईसाइयत का प्रचार और धर्मपरिवर्तन कर मुंडाओं की संस्कृति पर भी आक्रमण किया जा रहा था अधिक कर वसूली के कारण लोगों को मजदूरी करने पर मजबूर किया गया था | अपने अधिकार वापिस लेने के लिए उनको इसाई बनने पर मजबूर किया गया था लेकिन फिर भी उनको अपने अधिकार न दिए गये | Birsa Munda
बिरसा ने अंग्रेजों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था वे धर्म सभाएं करने लगे और रामायण आदि का पथ करने लगे थे . उन्होंने लोगों को फिर से अपनी परम्परा कि और वापिस आने के लिए प्रेरित करना शुरू कर दिया था | उन्होंने ने लोगों को ईसाई धर्म छोडकर वापिस हिन्दू बनने के लिए भी खान शुरू कर दिया था | वे कहते थे ‘अबुआ राज हारे जना ओरो महारानी राज टन्दू जना यानि अपना शासन आगया है अन्ह्रेज यदि गोली भी चलायें तो गोली पानी में बदल जायेगी| उन्होंने लोगों को कर देने से भी मना कर दिया था | इसके लिए बिरसा को 2 साल की कारावास की भी सजा दी गई थी |