भगवान विष्णु के छठे अवतार के रूप में भगवान परशुराम का नाम लिया जाता है। यह नाम इन्हें भगवान शिव से मिले परशु को धारण करने की वजह से मिला था। इनका जन्म अक्षय तृतीया के दिन हुआ था। यह शस्त्र विद्या के तरीके को आज भी भारत के कई हिस्सों में सिखाया जाता है । इनके शिष्य बहुत बलवान और पराक्रमी हुई हैं । इन्होंने स्वयं शिक्षा भगवान शिव से ली थी । भगवान शिव ने इन्हें अपना धनुष दिया था ।
Bhagwan Parshuram
1.) इसलिए किया माता का वध
ऐसी कथा है कि इन्होंने माता रेणुका के आदेश पर उनका वध कर दिया था। क्योंकि माता रेणुका के पति का वध उनके पिता ने कर दिया था और वो भी अपने प्राण त्यागना चाहती थी ।
Bhagwan Parshuram
2.) भगवान श्री राम को भेंट किया भगवान शिव का त्रिशूल ।
रामावतार के समय भगवान राम और परशुराम की मुलाकात सीता स्वयंवर के समय हुई थी जब भगवान शिव के धनुष को भंग करने के लिए परशुराम जी राम का वध करने आए। लेकिन जब भगवान विष्णु के शारंग धनुष से भगवान राम ने बाण का संधान कर दिया तो परशुराम जी ने भगवान राम की वास्तविकता को जान लिया। उस समय भगवान परशुराम जी ने उन्हें शारंग धनुष श्री राम को भेंट कर दिया था ।
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3.) कृष्ण को दिया सुदर्शन चक्र का उपहार
कृष्णावतार के समय जब भगवान श्री कृष्ण ने गुरु संदीपिनी के यहां शिक्षा ग्रहण कर लिया तब भगवान परशुराम जी ने श्री कृष्ण को आकार मील और उनके पराक्रम को देख कर उन्हें सुदर्शन चक्र भेंट किया था ।भगवान परशुराम
4.) महाभारत के महागुरु
परशुराम जी का महाभारत से एक और गहरा नाता है। इन्होंने भीष्म को धनुर्विद्या का ज्ञान दिया था। इस युग में इन्होंने कर्ण को भी धनुर्विद्या का ज्ञान दिया था। ये दोनों ही अपने युग में महान धनुर्धर माने जाते हैं।
5.) आज भी अमर है भगवान जी कर रहे है ताप
भगवान परशुराम के विषय में ऐसी मान्यता है कि धरती पर मौजूद 7 अमर व्यक्तियों में एक भगवान परशुराम भी हैं। परशुराम जी भगवान राम से पहले अवतरित हुए थे और श्री कृष्ण के युग में भी इन्होंने कई महत्वपूर्ण कार्यों को पूरा किया ।आज भी मान्यता है कि आज भी परशुराम जी महेंद्र गिरी परबत पर तप कर रहे हैं ।
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