Arora : पंजाब , उत्तर भारत में अरोड़ा जाती के लोग बहुत पाए जाते हैं , कुछ बुजुर्गो को छोड़ कर नई जनरेशन को अपने पैत्रिक गाँव , इतिहास का बहुत कम पता है | जब हम लोगो ने इतिहास के कुछ साल पीछे जाकर देखा तोह हेरान हो गये | Arora
अरोड़ा जाती का अपना एक शहर , अलग सभियता थी | यह सभियता हजारों वर्षो से “अरोर” नमक गाँव में बस रही थी जो राय साम्राज्य और ब्राह्मण साम्राज्य कि राजधानी रही है |अरब इतिहासकारों ने शहर का नाम अल-रुर, अल-रूहर और अल रोर के रूप में दर्ज किया है ।
अरोर को आलोर ,अरकोत, रोहड़ी शहर से भी जाना जाता रहा है | अरोर ने कभी सिंध की राजधानी के रूप में कार्य किया जिसके राजा ब्राह्मण साम्राज्य के राजा दाहिर सेन थे |
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7वीं शताब्दी में मोहम्मद बिन कासिम ने हमला किया था तब इस शहर का बहुत नुकसान हुआ था | मोहम्मद बिन कासिम को शिव भगत भप्पा रावल ने खदेरा फिर से इस शहर कि रौनक वापिस आ गई थी |Arora
इस शहर में 962 इसवी में बहुत बड़ा भूम्कंप आ गया था जिसने सिंधु नदी के मार्ग को बदल दिया और मिटटी के बने इस शहर को खंडर कर दिया था |
मजबूरन वश वहां के लोगो को वहां से पलायन करना पड़ा था | वहां के लोगो ने अपने शहर अपनी सभियता को अपने साथ हमेशा रखने के लिए अपने नाम के साथ ” अरोड़ा ” लगा दिया गया |
भगवान पुर्शोतम श्री राम जी के वंशज
प्रसिद्ध साहित्यकार और इतिहासकार भारतेन्दु हरिश्चन्द्र ने खत्रियों की उत्पत्ति का वर्णन करते हुए प्रसंगवश अरोड़ा समाज का भी उल्लेख करते हुए लिखा है- ‘भगवान् राम के पुत्र लव को लाहौर का राज्य उत्तराधिकार में मिला था। उनके कुल में कालराय नामक राजा हुए।
उनकी दो रानियां थी। एक रानी का पुत्र शांत स्वभाव का था इसलिए उसे अरूट् (अक्रोधी) कहा जाता था इसलिए राजा ने मंत्री की राय से अरूट् को अपना सारा खजाना दे दिया तथा दूसरी रानी के पुत्र छोटे राजकुमार को राज्य का उत्तराधिकारी बना दिया।’
बड़े राजकुमार अरूट् ने लाहौर नगर छोड़कर मुलतान की ओर प्रस्थान किया। उसके साथ अनेक नागरिक और सैनिक भी चल पड़े। राजकुमार अरूट् ने अरूटकोट नामक नगर बसाया। अरूट् को स्थानीय भाषा में अरोड़ तथा नगर को अरोड़कोट कहा जाता था। राजकुमार अरोड़ के वंशज अरोड़ा कहलाए।
अरोड़ा जाती कि कुल देवी
आज अरोड़ा जाती के लोग अपनी कुल देवी के बारे में नहीं जानते होंगे | इनकी कुल देवी “माँ कालका” हैं अरोड़ा शहर आज भी अस्तित्व में है | पाकिस्तान में एक कसबे के तौर पर बना हुआ है | आज भी माँ कालका का मंदिर स्थापित हैं और वहां के अल्पसंख्यक हिन्दू आज भी पूजा अर्चना करते हैं | आज भी एक खंडर से होते हुए मंदिर तक जाया जाता है , वहां एक मस्जिद भी है जो मोहम्मद पैगम्बर के चचेरे भाई चटन शाह को अर्पित है | Arora
Source :
- 1.) Hughes, Albert William (1876). A Gazetteer of the Province of Sind. G. Bell and Sons. p. 677. Retrieved 19 December 2017.
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- 2.)Rose, H. A (1911). A Glossary of The Tribes & Castes of The Punjab & North West Frontier Province. II. Lahore: Samuel T. Weston. p. 17. Retrieved 24 October 2011.
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